प्रजापति दक्ष से भी ऊंचा है पति का स्थान: स्वामी स्वात्मानन्द
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। विवाह के उपरांत पत्नी के लिए पति का सम्मान पिता के सम्मान से भी ऊंचा होता है। पत्नी को सदा पति के सम्मान का ध्यान रखना चाहिए। भगवत कथा के चौथे दिन स्वामी सत्यानंद ने सती कथा और सृष्टि रचना का बखान किया।
लालगंज के अटौरा बुजुर्ग में आयोजित भागवत कथा में चौथे दिन स्वामी स्वात्मानंद ने राजा दक्ष के दरबार में भगवान शिव के अपमान की कथा का वर्णन किया। जिसमें उन्होंने बताया कि भगवान शिव के मना करने के बाद भी जब सती अपने पिता राजा दक्ष के यहां आयोजित हवन में पहुंची तो वहां पर उन्होंने भगवान शिव का अपमान देखा जिसके बाद उन्होंने अपनी योग विद्या से प्रचलित अग्नि में प्रवेश किया और खुद को नष्ट कर लिया।
स्वामी स्वात्मानंद ने श्रद्धालुओं को संदेश दिया कि पत्नी को सदा पति के पीछे चलना चाहिए ताकि पति द्वारा बनाए गए पद चिन्हों को अपने हृदय में रखकर कर्तव्यों का निर्वाह कर सके। भागवत कथा के मुख यजमान श्री फाउंडेशन के चेयरमैन मनोज द्विवेदी और उनकी धर्मपत्नी सुधा द्विवेदी ने आए हुए भक्तों को प्रसाद वितरण किया और भगवत कथा का आनंद लेने के लिए धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि गुरुजनों के आशीर्वाद से संसार रूपी भवसागर से पार होकर श्री चरणों में स्थान पाया जा सकता है।
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