प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद के पदचिन्हों पर चलने का लिया गया संकल्प
तेजस टूडे ब्यूरो
अब्दुल शाहिद
बहराइच। रूल ऑफ लॉ सोसाइटी के तत्वावधान में दिवानी कचहरी परिसर में भारत रत्न देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की पुण्यतिथि श्रद्धा सादगी एवं आस्था के साथ मनाया गया। उपस्थित अधिवक्ताओं ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को कालजयी उदभट विद्वान एवं संविधान विशेषज्ञ बताते हुए उनके आदर्शों को आत्मसात कर न्याय पालिका को गरिमामयी एवं विधि का शासन स्थापित करने का सामूहिक संकल्प लिया।
रूल ऑफ लॉ सोसाइटी की ओर से आयोजित पुण्यतिथि पर उपस्थित अधिवक्ताओं एवं शिक्षाविदों को सम्बोधित करते हुए बार एसोसिएशन अध्यक्ष रामजी बाजपेयी ने कहा कि बाबू डॉ. राजेन्द्र प्रसाद एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में अनेकों बार जेल यात्रा की उनका व्यक्तित्व एवं कृतत्व अधिवक्ताओ के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा। महामंत्री बार एसोसिएशन बालकृष्ण मिश्रा ने कहा कि उन्होंने भारत को एकता के सूत्र में बांधने के लिए सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन में हिस्सा लिया था। संविधान विशेषज्ञ अनिल त्रिपाठी ने कहा कि वह संविधान सभा के अध्यक्ष थे और उनके अथक प्रयास से दुनिया के सबसे बड़े और विशिष्ठ संविधान की रचना हो सकी।
अवध क्षेत्र अध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि राजेन्द्र बाबू सादगी के प्रतिमूर्ति थे। प्रारंभिक समय में देश के कृषि एवं खाद रसद मंत्री एवं कई बार देश के राष्ट्रपति होने के बावजूद उनका जीवन सरलता शादगी और महानता से भरा हुआ था। उन्होंने अपना अंतिम समय सामाजिक कार्यो और जन सेवा में बिताया। बाल न्याय पीठ के चैयरमैन सतीश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि वोट के लालच में तत्कालीन और आगे की सरकारों ने जो महत्व राजेन्द्र बाबू को देना चाहिए उससे उनको वंचित रखा ये दुर्भाग्यपूर्ण है। अधिवक्ता होने के नाते हम सबका पुनीत कर्तव्य है कि उनके जन्मदिन जो अधिवक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है उसे और भव्य एवं दिव्य स्वरूप प्रदान करें।
कार्यक्रम में उपाध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव, अधिवक्तागण शान्तनु श्रीवास्तव, आलोक शुक्ला, शिक्षाविद रमीश चंद्र मिश्रा, आलोक शुक्ला, दुर्गेश शुक्ला, अजित प्रताप सिंह, सुधाकर शुक्ला, अमित वर्मा, नवोदयन, सुशील श्रीवास्तव, पंकज श्रीवास्तव, अरविंद आर्या, शशांक श्रीवास्तव, उमाकांत पाठक सहित तमाम अधिवक्ता मौजूद थे। समापन अवसर पर श्रद्धेय डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के पदचिन्हों पर चलकर देश की एकता व अखंडता के लिए सतत एवं प्रभावी कार्य करने का सामूहिक संकल्प भी लिया गया।
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