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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों के विद्यार्थियों को इस वर्ष प्रोन्नत कर दिया जाएगा। यानी विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में इस बार वार्षिक परीक्षा नहीं होगी। यह सुझाव उच्च शिक्षा विभाग द्वारा गठित कमेटी ने सरकार को दिया है। कोरोना महामारी के कारण कमेटी ने यह निर्णय लिया है। प्रोन्नत करने के लिए फार्मूला तैयार किया जाएगा। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति प्रोफेसर एके तनेजा की अध्यक्षता में गठित कमेटी के सुझाव पर अब अंतिम फैसला यूपी सरकार को लेना है।
आपको बता दें कि कोरोना आपदा के दौरान राज्य विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों की परीक्षाओं को लेकर शुक्रवार को शासन ने एक चार सदस्यीय कमेटी का गठन कि था। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति प्रो.एनके तनेजा की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था।
इसमें डॉ.राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद के कुलपति प्रो.मनोज दीक्षित, डॉ.भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति प्रो.अशोक मित्तल व छत्रपति शाहू महाराज विश्वविद्यालय कानपुर की कुलपति प्रो.नीलिमा गुप्ता को सदस्य बनाया गया। इस कमेटी को तीन दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी थी।
स्नातक व परास्नातक की परीक्षाओं के कार्यक्रम घोषित होते ही विद्यार्थी और शिक्षक विरोध पर उतर आए हैं। दूसरी तरफ कई विश्वविद्यालय जुलाई के पहले सप्ताह से लेकर दूसरे सप्ताह के बीच स्नातक व परास्नातक परीक्षाएं आयोजित करने की तैयारी कर रहे हैं। इसे लेकर कमेटी अब ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित करने, विद्यार्थियों को प्रोन्नत करने या शारीरिक दूरी के नियमों का पालन कर परीक्षाएं कराने सहित कई विकल्पों पर मंथन किया। चार सदस्यीय कमेटी ने कई विकल्पों पर विचार करने के बाद सोमवार को सरकार को सुझाव दे दिये हैं।
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