धनंजय सिंह के केस में आया नया मोड़, पढ़िए पूरी खबर

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जौनपुर। पूर्व सांसद धनंजय सिंह की जमानत अर्जी पर मंगलवार को सुनवाई थी। न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने सुनवाई के लिए 15 जुलाई की तिथि नियत कर दिया। जिससे उनके समर्थकों में मायूसी है। आपको बता दे कि लाइन बाजार थाने में नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने पूर्व सांसद धनंजय व विक्रम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराया था कि आरोपियों ने जबरन गिट्टी, बालू आपूर्ति के लिए दबाव डालते हुए धमकी दी।उसका अपहरण कर धनंजय के घर ले जाया गया। धनंजय पिस्टल दिखाकर उसे धमकी दी। रंगदारी मांगी गई। वर्तमान में दोनों आरोपी जेल में हैं। वादी अभिनव सिंघल ने धारा 164 सीआरपीसी के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान भी दर्ज करा दिया है जिसकी नकल भी न्यायालय से ली गई है। धनंजय के समर्थक पूरी उम्मीद लगाए बैठे थे कि मंगलवार को जमानत पर यदि बहस हुई तो जमानत मंजूर हो जाएगी। सुनवाई टलने से उनके समर्थक मायूस हो गए।

जौनपुर। पूर्व सांसद धनंजय सिंह की जमानत अर्जी पर मंगलवार को सुनवाई थी। न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने सुनवाई के लिए 15 जुलाई की तिथि नियत कर दिया। जिससे उनके समर्थकों में मायूसी है।

आपको बता दे कि लाइन बाजार थाने में नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने पूर्व सांसद धनंजय व विक्रम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराया था कि आरोपियों ने जबरन गिट्टी, बालू आपूर्ति के लिए दबाव डालते हुए धमकी दी।उसका अपहरण कर धनंजय के घर ले जाया गया। धनंजय पिस्टल दिखाकर उसे धमकी दी। रंगदारी मांगी गई।

जौनपुर। भाजपा कार्यालय पर सामाजिक दूरी का ख्याल रखते हुये जिलाध्यक्ष श्री पुष्पराज सिंह के अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें आपातकाल पर चर्चा हुई। जिलाध्यक्ष ने कहा कि 25 जून का दिन एक विवादस्पद फैसले के लिए जाना जाता है यही वह दिन था जब देश में आपातकाल लगाने की घोषणा हुई तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनता को बेवजह मुश्किलों के समुंदर में धकेल दिया। 25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई और 26 जून 1975 से 21-मार्च 1977 तक यानी 21 महीने की अवधि तक आपातकाल जारी रहा। आपातकाल के फैसले को लेकर इंदिरा गांधी द्वारा कई दलीलें दी गईं। देश को गंभीर खतरा बताया गया, लेकिन पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और ही थी उन्होंने कहा कि हमारे जिले जौनपुर से भी कई नेता जेल गए जिसमे मुख्य रूप से पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह अल्प आयु में ही जेल गए कैलाश विश्वकर्मा जी, हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव तमाम नेता जेल गये थे। जिलाध्यक्ष ने कहा कि आपातकाल की नींव 12 जून 1975 को ही रख दी गई थी जब इंदिरा गांधी के खिलाफ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी राजनारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की राजनारायण ने अपनी याचिका में इंदिरा गांधी पर 6 आरोप लगाये थे 12 जून 1975 को राजनारायण की इस याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया इंदिरा गांधी को चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का दोषी पाया गया और इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद्द कर दिया और 6 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ता इसलिए इस लटकती तलवार से बचने के लिए प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर आपात बैठक बुलाई गई। इस दौरान कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष डीके बरुआ ने इंदिरा गांधी को सुझाव दिया कि अंतिम फैसला आने तक वो कांग्रेस अध्यक्ष बन जाएं और प्रधानमंत्री की कुर्सी वह खुद संभाल लेंगे लेकिन बरुआ का यह सुझाव इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी को पसंद नहीं आया संजय की सलाह पर इंदिरा गांधी ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 23 जून को सुप्रीम कोर्ट में अपील की सुप्रीम कोर्ट ने अगले दिन 24 जून 1975 को याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वो इस फैसले पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें प्रधानमंत्री बने रहने की अनुमति दे दी, मगर साथ ही कहा कि वो अंतिम फैसला आने तक सांसद के रूप में मतदान नहीं कर सकतीं विपक्ष के नेता सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला आने तक नैतिक तौर पर इंदिरा गांधी के इस्तीफे पर अड़ गए। एक तरफ इंदिरा गांधी कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रहीं थीं, दूसरी तरफ विपक्ष उन्हें घेरने में जुटा हुआ था। गुजरात और बिहार में छात्रों के आंदोलन के बाद विपक्ष कांग्रेस के खिलाफ एकजुट हो गया। लोकनायक कहे जाने वाले जयप्रकाश नारायण (जेपी) की अगुआई में विपक्ष लगातार कांग्रेस सरकार पर हमला कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अगले दिन 25 जून 1975 को दिल्ली के रामलीला मैदान में जेपी ने एक रैली का आयोजन किया जिसमे अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, आचार्य जेबी कृपलानी, मोरारजी देसाई और चंद्रशेखर जैसे तमाम दिग्गज नेता एक साथ एक मंच पर मौजूद थे। विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से इमरजेंसी के घोषणा पत्र पर दस्तखत करा लिए जिसके बाद सभी विपक्षी नेता गिरफ्तार कर लिए गए 26 जून 1975 को सुबह 6 बजे कैबिनेट की एक बैठक बुलाई गई इस बैठक के बाद इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो के ऑफिस पहुंचकर देश को संबोधित किया उन्होंने कहा कि आपातकाल के पीछे आंतरिक अशांति को वजह बताई लेकिन इसके खिलाफ गहरी साजिश रची गई इसके बाद प्रेस की आजादी छीन ली गई, कई वरिष्ठ पत्रकारों को जेल भेज दिया गया अखबार तो बाद में फिर छपने लगे, लेकिन उनमें क्या छापा जा रहा है। ये पहले सरकार को बताना पड़ता था। इमरजेंसी का विरोध करने वालों को इंदिरा गांधी ने जेल भेज दिया था 21 महीने में 11 लाख लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. 21 मार्च 1977 को इमरजेंसी खत्म करने की घोषणा की गई। इंदिरा गांधी और कांग्रेस आपातकाल को संविधान के अनुसार लिए गया फैसला बताते रहे, लेकिन वास्तव में उन्होंने 1975 में संविधान द्वारा दिए गए इस अधिकार का दुरुपयोग किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से शामिल जिला उपाध्यक्ष सुरेंद्र सिंघानियां, अमित श्रीवास्तव, जिला महामंत्री शुशील मिश्रा, पीयूष गुप्ता, जिला मंत्री राजू दादा, अभय राय डीसीएफ चेयरमैन धन्यजय सिंह, भूपेंद्र पांडे, आमोद सिंह, विनीत शुक्ला, राजवीर दुर्गवंशी, रोहन सिंह, इन्द्रसेन सिंह प्रमोद, अनिल गुप्ता, प्रमोद प्रजापति, भाजयुमो जिला महामंत्री विकास ओझा, शुभम मौर्या आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

वर्तमान में दोनों आरोपी जेल में हैं। वादी अभिनव सिंघल ने धारा 164 सीआरपीसी के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान भी दर्ज करा दिया है जिसकी नकल भी न्यायालय से ली गई है। धनंजय के समर्थक पूरी उम्मीद लगाए बैठे थे कि मंगलवार को जमानत पर यदि बहस हुई तो जमानत मंजूर हो जाएगी। सुनवाई टलने से उनके समर्थक मायूस हो गए।

जफराबाद, जौनपुर। खोजनपुर गांव के अनुसूचित बस्ती में सोमवार को देर रात करीब 3:00 बजे कच्चा मकान गिरने से वृद्ध पति पत्नी दब गए। पति की जान बच गई लेकिन पत्नी की दर्दनाक मौत हो गई। सूचना पुलिस को दे दी गई है। पोस्टमार्टम के लिए पुलिस ने शव को भेज दिया है। उक्त गांव निवासी इंद्रजीत 65 वर्ष पत्नी धनावती देवी 60 वर्ष के साथ अपने कच्चे घर में अलग-अलग चारपाई पर सोए हुए थे। देर रात करीब 3:00 बजे अचानक बारिश की वजह से कच्चे घर का दीवार ढह गया। दोनों दीवार के मिट्टी में दब गए। जोरदार आवाज सुनकर बगल के दूसरे घर में सो रहे परिवार के लोग दौड़कर पहुंचे। आनन-फानन में मिट्टी हटाकर इंद्रजीत को घायल अवस्था में बाहर निकाल लिए। धनावती देवी अधिक मलबे में दबी हुई थी। जब तक मलबा खोदकर बाहर निकाले, तब तक उनकी सांसे बंद हो चुकी थी। फिर भी आनन-फानन में लोग जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। इसी प्रकार अहमदपुर गांव में कच्चा मकान गिरने से मोहरा देवी पत्नी लालता की मलबे में दबने से मौत हो गई। चंदन अग्रहरि शाहगंज, जौनपुर। क्षेत्र के बडागांव निवासी किशोरी मंगलवार की दोपहर स्वजनों की डांट फटकार से छुब्ध होकर घर में रखा किटनाशक पदार्थ का सेवन कर लिया हालत गंभीर देखकर स्वजनों ने उपचार के लिए स्थानीय राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया। प्राप्त जानकारी के अनुसार क्षेत्र के बडागांव निवासी नेहा (16) पुत्री त्रिभुवन ने घर के स्वजनों की डांट फटकार से छुब्ध होकर घर में रखा किटनाशक पदार्थ का सेवन कर लिया हालत गंभीर देखकर स्वजनों ने उपचार के लिए स्थानीय राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया जहां चिकित्सकों ने हालत गंभीर देखकर जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया। सौरभ सिंह जौनपुर। सिकरारा पुलिस ने कालेज प्रबंधक सभापति दुबे मर्डर केश का पर्दाफास कर दिया है। पुलिस के अनुसार हत्या प्रबंधक के नौकर ने ही डंडे से ही पीटकर किया है। एसपी अशोक कुमार सिंह ने आज प्रेस कांफ्रेन्स में बताया कि सिकरारा थाना क्षेत्र के उतिराई गांव में पंडित सभापति दुबे इंटर कॉलेज के प्रबंधक सभापति दुबे की हत्या अज्ञात बदमाशों द्वारा कर दिया गया था, घटना के बाद पुलिस कई विन्दुओं पर जांच कर रही थी। पुलिस उनके नौकर चंद्रप्रकाश पांडेय पुत्र दयाशंकर निवासी नन्दलालपुर थाना रामपुर से पूंछताछ किया तो पहले वह पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया बाद में कड़ाई से पूंछताछ किया तो उसने खुद अपने मालिक को मौत के घाट उतारना कबूल कर लिया। उसके निशानदेही पर हत्या में प्रयोग किया डंडा, लूट के 70 हजार रुपये और विद्यालय के कागजात बरामद हुआ है। पुछताछ में आरोपी ने बताया कि प्रबन्धक मुझसे खाना बनवाते थे तथा निर्वस्त्र होकर शरीर की मालिश करवाते थे, जिसके कारण मैं काम छोड़ने को कहा था लेकिन वे दूसरे नौकर तक आने तक मुझे न छोड़ रहे थे न ही मेरी तनख्वाह दे रहे थे। इसी से अजीज आकर मैंने उन्हें मार दिया।

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