अच्छे अच्छों को देखा है

अच्छे अच्छों को देखा है

अब क्या बतलाएं कभी कभी क्या क्या बतलाना पड़ता है,
घूसखोरों चोर लफंगों को अच्छा बतलाना पड़ता है।
अच्छे अच्छों को देखा है जब गोटी उनकी फंसती है,
ऐसे मौकों पर साले को जीजा बतलाना पड़ता है।।

अपने ही हक पर कभी-कभी डाका डलवाना पड़ता है,
खुद को भूखा रख करके फांका करवाना पड़ता है।
अच्छे अच्छों को देखा है जब गोटी उनकी फंसती है,
ऐसे मौकों पर गदहे को काका बतलाना पड़ता है।।
डा. प्रमोद वाचस्पति “सलिल जौनपुरी”।

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