‘ना आना इस देश में मेरी लाडो’ | #TejasToday
सूर्य नारायन विश्वकर्मा
उत्तर प्रदेश में यह कहा जाय कि जंगलराज पैर पसार चुका है या सरकारी मशीनरी तंत्र फेल हो चुका है। हाथरस कांड को लेकर विधानसभा में सीएम का सपा पर तंज पूछा क्या समाजवादी पार्टी का उस अपराधी से कोई संबंध है क्या? हर अपराधी के साथ समाजवादी शब्द है। आखिर क्यों जुड़ जाता है? मानवीयता के आधार से अगर देखा जाए तो अराजक तत्व सभी पार्टियों में हैं और इससे कोई बचा भी नहीं है। प्रतिपक्ष पद के नेता रामगोविंद चौधरी ने विधानसभा में आवाज उठाई कि मैं यह पूछना चाहता हूं कि यह कौन सी स्थिति है। कौन सी मजबूरी है जबकि विधानसभा में सीएम के बयान का विरोध करते हुए फोटो दिखा कर कहा कि हाथरस कांड के आरोपी भाजपा के सांसद के पास बैठा दिखाई पड़ा था।
‘जनादेश’ तय करेगा किसान आंदोलन की दशा-दिशा! | #TejasToday
पीएम पिछले 24 फरवरी विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान एक वाक्ये का जिक्र करते हुए कहा था कि दो ढाई साल का एक बच्चा भी लाल टोपी पहने वाले व्यक्ति को गुंडा समझता है। क्या हमारा प्रदेश आज उस स्तर पर पहुंच गया है कि ढाई साल का बच्चा टोपी पहने हुए व्यक्ति को गुंडा समझने लगा है अगर ऐसा है तो क्यों? उत्तर प्रदेश के हाथरस के सासनी इलाके के गांव नोजलपुर में किसान को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दिया गया आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस ने 1 लाख का इनाम भी घोषित किया। पिछले सोमवार को खेत में आलू की खुदाई करवा रहे किसान की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। करीब ढाई वर्ष पहले आरोपी ने किसान की बेटी के साथ छेड़छाड़ की थी। आरोपी ने उस मुकदमे को वापस लेने और उनकी छोटी बेटी से शादी का दबाव बना रहा था।
आरोपी फिल्मी अंदाज में सफेद कार अपने साथियों के साथ आया और मुकदमे को वापस लेने को धमकाने लगा। पीड़िता के पिता जब तक कुछ कह पाते तब तक आरोपी ने घटना का अंजाम दे दिया। ऐसे गंभीर वारदातों में काफी तगड़ा कर्मकांड के तौर पर होता है। सीएम यूपी ने आरोपी के ऊपर कड़ी कार्यवाही का आदेश पारित करते हुए उन पर रासुका लगाने का भी निर्देश दिया। उत्तर प्रदेश यह हाथरस का पहला मामला नहीं है। ऐसे मामले उत्तर प्रदेश में आए दिन हो रहे हैं। योगी आदित्यनाथ अपने कार्यकाल के आखिरी साल में पहुंचने के बाद भी प्रदेश में गुंडे वह किसी भी पार्टी द्वारा संरक्षित क्यों न हो। अभी तक अपनी जान की भीख मांगते दिखाई नहीं दिये, बल्कि सरकार के मशीनरी उपकरणों को फेल होता दिखाई दे रहा है। मंगलवार को पश्चिम बंगाल में योगी आदित्यनाथ मालदा में भारतीय जनता पार्टी का प्रचार करते हुए कहा कि 2 मई को वहां के विधानसभा का हुए चुनाव के वोटों की गिनती के बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के गुंडे अपनी जान की भीख मांगेंगे। सूबे सरकार के मुखिया द्वारा सरकार बनते ही उत्तर प्रदेश में भी यही कहा गया था और यह भी कहा गया था अपराधी या तो अपराध छोड़ दें या यूपी छोड़ दें।
हमारे राज में दोनों नहीं चलेगा। प्रदेश की जनता यह भी कह रही है कि जब केंद्र सरकार के मुखिया ही जुमलेबाज हैं तो क्या प्रदेश सरकार के मुखिया क्या उनसे कम? जबकि सरकार बेटियों की सुरक्षा के लिए मिशन शक्ति समेत कई हेल्पलाइन ने चला रहे हैं। सरकार में उसे चलाने वाली पार्टियां के कई नेता की बेटियों के गुनाहगार होने के बावजूद भी कतई शर्माते नहीं हैं। अब सवाल यह उठता है कि उत्तर प्रदेश के गुंडे अपनी जान की भीख मांगने को मजबूर नहीं हुए। देश के सबसे बड़ा प्रदेश के योगीराज में बेटियां के खिलाफ बर्बरता की ओर लौटता दिखाई देने लगा है। एक ओर उन्हें भ्रूण परीक्षण कराकर गर्भ में ही मार दिये जाने का सिलसिला जारी है। वहीं दूसरी ओर जो बेटियां किसी तरह जन्म लेने व जिंदा रहने का गुनाह कर बैठती हैं। उनको बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा लगाते हुए यौन हमलों के रास्ते हैसियत बताई जा रही है। उन्हें तथाकथित लव जिहाद से बचाने के नाम पर कानून बनाकर अपनी मर्जी से अपना साथी चुनने का अधिकार मे कटौती कर डालने वाली सरकार है और बेटियों को सरकार ऐसे वातावरण नहीं उपलब्ध करवा पा रही है कि वह निर्भय होकर आराम की सांस ले सकें। हाथरस कांड ताजा गवाह है कि यौन हमलों के खिलाफ भाइयों और पिता द्वारा आवाज उठाना भी भारी पड़ रहा है।
आजकल न्यायपालिका बलात्कार के इंसाफ के लिए शादी का रास्ता सुझाती जाती है। एक बार फिर बलात्कार को हिंसा की नहीं, बल्कि समाज में इज्जत लूटने की नजर से देखा जाता है। बलात्कार जैसे हिंसक अपराध से औरत की हुई शारीरिक और मानसिक पीड़ा को दरकिनार कर दिया जाता है। मानो उसके लिए सजा अनिवार्य ही नहीं जबकि यह सुझाव सबसे बड़ी अदालत के सबसे ऊंचे न्यायाधीश से आता है। इसका असर और व्यापक हो जाता है। गत सोमवार को चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट 3 जजों की बेंच ने महाराष्ट्र में एक स्कूली छात्रा के बलात्कार के अभियुक्त से पूछा कि क्या वह पीड़िता से शादी करना चाहता है? कोर्ट ने ऐसा निर्देश नहीं दिया लेकिन अभियुक्त के वकील से यह जरूर पूछा था। हालांकि अब वह अभियुक्त शादी-शुदा है। इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त को 4 सप्ताह तक गिरफ्तार न किए जाने का आदेश दिया।
हालांकि यह मामला पहला नहीं है। पिछले साल मद्रास हाईकोर्ट ने भी बलात्कार के एक मामले में अभियुक्त किस आधार पर जमानत दे दी थी। उसने नाबालिग पीड़िता के बालिग हो जाने पर उसे शादी करने का वादा किया था। ऐसे ही फैसले पिछले साल केरल, गुजरात और ओडिशा हाईकोर्ट ने भी दिए जिनमें नाबालिग के बलात्कार के बाद उससे शादी करने के वादे पर अभियुक्त को जमानत दे दिया गया। यहां तक कि तमिलनाडु में पिछले दिनों एक स्पेशल डीजीपी ने एक महिला आईपीएस को उन पर अत्याचार कर अपनी कार में बैठाया। फिर उनके ऐतराज के बावजूद गाना सुनाकर चूम लिया। दूसरी बेटियों के संदर्भ में यह अत्याचार और कितना घिनौना हो सकता है, इसे आसानी से समझा जा सकता है। देश में जब पदासीन बेटियां सुरक्षित ही नहीं तो आम जनमानस की बेटियां कैसे सुरक्षित रहेंगी। मिशन शक्ति एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सरकार द्वारा चलाया जा रहा है। मिशन बिल्कुल को फेल हो चुका है। समाज के तमाम बुद्धिजीवी वर्गों के हिसाब से बलात्कार के आरोपी के आरोप सिद्ध होने के बाद न्यायालय द्वारा जमानत नहीं मंजूर होनी चाहिये, बल्कि इस कानून में संशोधन करके सिर्फ 3 माह के समय में थाने से लेकर कोर्ट तक पूर्ण कागजात पेश कर आरोपी द्वारा किए गए दुष्कर्म की सजा मिल सके। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो बेटियों का जन्म लेना अभिशाप सिद्ध हो जाएगा।
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