नदी किनारे अवैध खनन परिवहन का सिस्टम जोर—शोर से फल—फूल रहा

नदी किनारे अवैध खनन परिवहन का सिस्टम जोर—शोर से फल—फूल रहा

रूपा गोयल
बांदा। पहले ही खनन माफियाओं ने केन नदी का सीना छलनी कर दिया इसके बाद जो रही सही कसर बची है। वह नदी किनारे बसने वाले गरीबों का सहारा लेकर खनन माफिया पूरी कर रहे हैं। दिन—रात खुलेआम अवैध खनन परिवहन किया जा रह है पहले नदी के उस पार नाव में बालू लोड की जाती है, फिर घाट किनारे लाकर बाइक ई-रिक्शा से तो ठीक हीं ठीक है लेकिन अब तो पिकअप (लोडर) में बालू लोडर में ले जाकर बेचने का अवैध कार्य किया जा रहा है। शायद इस अवैध खनन को रोकने की हिम्मत किसी अधिकारी में नहीं रह गई है केन नदी किनारे बसने वाले लोग काफी अरसे से केन नदी से बालू निकालने का काम कर रहे हैं।

पहले तो चोरी-छिपे काम किया जाता था लेकिन अब तो सीना ठोकर खुल्लम-खुल्ला अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है। वैसे भी माफियाओं ने केन नदी की कोख को नोच डाला है लेकिन जो कसर बची है, उसे नदी किनारे के लोग पूरी कर दे रहे हैं। दिन हो या रात हर समय बालू निकालने का काम किया जा रहा है। सुबह नदी के घाटों पर पहुंचकर अगर खनिज विभाग के अधिकारी देखेंगे तो उन्हें अवैध खनन की असली तस्वीर नजर आ जाएगी लेकिन अफसोस की बात यह है कि खनिज विभाग इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है।

मसलन पहले नाव में बालू लोड करने के बाद घाट किनारे लाई जाती है। इसके बाद बाइक ई-रिक्शा में लोड करके शहर में आपूर्ति की जा रही है। हद तो तब हो गई जब पिकअप लोडर आटो में बालू भर कर बेचने का काम अवैध रूप से शुरू कर दिया गया है। अवैध खनन करने वाले नदी किनारे के वाशिंदों का कहना है कि उन्हें किसी भी अधिकारी का कोई खौफ नहीं है।

यही नहीं, अगर कोई मिडियाकर्मी हो रहे इस अवैध कारोबार का पर्दाफाश करने जाता है तो यें माफिया फर्जी रंगदारी के मुकदमे में फ़साने व जान से मारने तक की धमकी दे डालते जबकि इस अवैध खनन कि जानकारी जिलाधिकारी महोदया दुर्गा शक्ति नागपाल को लिखित व मौखिक रुप से दि गईं थीं। उन्होंने उचित कार्यवाही व जाँच का आश्वासन भी दिया और 22 मई को बाँदा खनीज को आदेश भी दिया लेकिन साहब द्वारा अभी तक कोई ठोस जाँच व कार्यवाही नहीं किया गया जिस कारण अवैध खनन करने वालों के हौसले बुलंद हैं।

सच तो यह है कि जिले के आला अफसर तमाशबीन बनकर बैठे हैं। जिले का खनिज विभाग तो जितनी तारीफ करें उतनी कम कहावत है न ज़ब सैया भय कोतवाल तो डर काहे का। खनिज अधिकारी बांदा पत्रकारों का नाम सुनते ही फोन काट देता है और तो और फोन कटते ही कुछ पत्रकार और माफिया व उनके गुर्गे आ जाते हैं सीना ठोककर दबंगई दिखाने, क्योंकि आशीर्वाद साहब का है। वही एक दैनिक अख़बार में यह ख़बर छपी है कि खनिज अधिकारी बांदा अर्जुन से जब इस बिषय में बात की गई तो उन्होंने कहा कि नदी से बालू निकालना अवैध है।

इस अवैध खनन को रोकने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है उन्होंने कहा कि पिछले महीने अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। इसके साथ लगातार चेकिंग अभियान चलाया जाएगा नदी से अवैध तरीके से बालू नहीं निकालने दी जाएगी। बांदा खनिज के संज्ञान में ज़ब इस अवैध खनन कि जानकारी है तो अभी तक कोई भी जाँच व कार्यवाही क्यों नहीं हुई।

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