भविष्य का गुण्डा बनने के लिये बेकरार हैं शहर के कुछ बिगड़ैल नाबालिग छात्र
शाम होते ही कालोनियों की सड़कों में शुरू हो जाता है बाइकर्स गैंग का आतंक
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। फिल्मों में भले ही हीरो की तरफ समर्थन की भावनाएं रहती हो लेकिन हकीकत में दबंगई और गुंडई करने की चाहत युवाओं में देखने को मिलती है और उनकी इस चाहत के पीछे अप्रत्यक्ष रूप से परिजन अहम भूमिका निभाते है।
शहर में कुछ ऐसे इलाके हैं जहां पुलिस की नजरों से दूर नाबालिक लड़के महंगी मोटरसाइकिल लेकर फर्राटा भरते देखे जा सकते हैं।
अगर हम बात करें शहर के सबसे व्यस्ततम और बड़ी कॉलोनी इंदिरा नगर की तो आरडीए कंपलेक्स से लेकर यूनिक मेडिकल स्टोर की तरफ जाने वाली सड़क चौकी इंदिरा नगर की मेन रोड है। वहां पर शाम 4 से 6 के बीच बाइकर्स गैंग सक्रिय हो जाता है। इस सड़क पर कई कोचिंग संस्थान हैं जहां पढ़ने वाले छात्र महंगी बाइक और बुलेट से आते हैं। कभी यह समूह बनाकर किसी को पीटने का प्लान बनाते हैं तो कभी एक—दूसरे से बाइक की रेस लगाते हैं और इन सबके बीच आम नागरिक सड़क पर इनका शिकार बनता है और घायल हो जाता है।
कुछ यही हाल पवन नमकीन के पास मौजूद कोचिंग सेंटर का होता है। बाइक में फर्राटा भरते इन नौजवानों को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिना हेलमेट लगाए बुलेट से पटाखे की आवाज निकालने वाले इन नौजवानों की उम्र 15 से 16 साल तक ही है। इनका ड्राइवरी लाइसेंस नहीं बना होगा लेकिन बिगड़ैल घरों के अमीर शहजादे को उनके परिजन महंगी गाड़ियां दे देते हैं। कॉलोनियों में पुलिस की चेकिंग न लगने के कारण यहां की सड़कें बाइकर्स गैंग के आतंक से प्रभावित रहती हैं। ऐसे में आम नागरिक इनसे बोलता है तो वह अपमानित हो जाता है।
नाबालिग लड़कों के हाथ में महंगी बाइक देना और सड़क में आतंक मचाने के पीछे परिजनों के साथ शिक्षण संस्थानों का भी अप्रत्यक्ष रूप से बड़ा योगदान है। जो छात्रों को यह नहीं समझाते हैं कि पढ़ने के लिए संस्थान आना है तो यातायात नियमों का पालन करना होगा। अगर आप नाबालिक है तो गाड़ी नहीं ला सकते हैं। अगर आप बालिक हैं तो गाड़ी नियम से चलाएं धीमी चलाएं और हेलमेट लगाकर चलाएं। इन लड़कों के द्वारा आए दिन राहगीरों को घायल किया जाता है।
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