नई दिल्ली। देश इस वक्त कोरोना संकट से जूझ रहा है, घातक वायरस के बढ़ते मरीजों ने सरकार और डॉक्टरों की चिंता को बढ़ा दिया है तो वहीं बेमौसम बरसात ने किसानों की पेशानी पर बल डाल दिया है, देश के कई राज्यों में इस वक्त आंधी-तूफान के साथ बारिश हो रही है, जिसके कारण लोग काफी परेशान हैं, यहां एक खास बात आपको बता दें कि आंधी-तूफान के साथ होने वाली बारिश को ‘कालबैसाखी’ कहा जाता है और जब इसके जरिए बारिश होती है तो आम तौर पर नुकसान ही होता है।
जैसा की नाम से स्पष्ट है कि मौसम जब काल बन जाए तब उसे ‘कालबैसाखी’ कहा जाता है, इससे मुख्य तौर पर भारत और बांग्लादेश प्रभावित होते हैं। भारत के पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में जब मौसम अपना रौद्र रूप धारण करता है, तो उसे ‘कालबैसाखी’ नाम दिया जाता है, इस दौरान चलने वाली हवाएं उग्र रूप धारण कर लेती हैं और तूफान के रूप में सामने आती हैं,ऐसा अक्सर हवाओं में नमी बढ़ने की वजह से होता है, जिसकी वजह से बवंडर बनता है और वो आंधी-तूफान का रूप अख्तियार कर लेता है।
इन कपासी मेघ को अक्सर ट्विस्टर्स अथवा ‘चक्रवात’ कहा जाता है, हालांकि मौसम विज्ञान में ‘चक्रवात’ शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में अल्पदाब वाले परिसंचरण के लिये किया जाता है, ‘कालबैसाखी’ की घटना भारत में मॉनसून के आगमन तक देखने को मिलती है, अप्रैल और मई में ऐसी घटनाएं ज्यादा होती हैं।
इस वक्त पूर्वोत्तर राज्यों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र सक्रिय है, यही कारण है कि यहां पर मौसम की व्यापक सक्रियता देखने को मिल रही है और वो आंधी-तूफान के रूप में भारत के राज्यों में दिखाई पड़ रहे हैं, स्काईमेट के मुताबिक अगले दो दिनों तक ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, पश्चिमी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भारी बारिश की आशंका है, इस दौरान बिजली चमकने की संभावना है। अप्रैल में बारिश सब्जी के लिए फायदेमंद है, लेकिन मक्के की खेती, गेहूं, जौ, ओट, राई, मैथी, जीरा, जैसी रबी फसल के लिए नुकसानदेह साबित हुआ है।
रात में सरकारी ड्यूटी एवं दिन में सामाजिक कार्य कर रहे शरद पटेल