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अजीत हत्याकाण्डः राजधानी सहित सूबे में फिर पनप रहा संगठित अपराध | #TejasToday
लखनऊ। बीते कुछ साल पहले माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला ने एके-47 से ताबड़तोड़ फायरिंग कर यूपी पुलिस को खुली चुनौती दी थी। जनपथ बाजार में दरोगा की हत्या ने बेखौफ होते अपराधियों के साथ संगठित अपराध को नई परिभाषा गढ़ी थी। इसके कुछ साल बाद राजधानी लखनऊ में दो सीएमओ के अलावा सरकारी मुलाजिम सैफ की हत्या, तारिक, पुष्पजीत सिंह की हत्या कोयले की रार और राजनीति का खून देखा। इसके बाद पुलिस- प्रशासन ने सख्ती बरती।
कई बड़े बदमाश पुलिस एनकाउंटर में ढेर हुए। पिछले करीब दो दशक में माफिया का दखल रियल स्टेट कारोबार में बढ़ा तो सड़कों पर उनके बीच संघर्ष की घटनाएं थम गई। अब एक बार फिर विभूतिखंड क्षेत्र स्थित कठौता चौराहे पर 6 जनवरी 2021 आजमगढ़ जिले के जीयनपुर कस्बा में पूर्व विधायक सर्वेश सिंह उर्फ सिपू हत्याकांड में मुख्य गवाह अजीत सिंह की हत्या ने एक बार फिर पुलिस के सामने नए सवाल खड़े कर दिए। राजधानी लखनऊ में फिर संगठित अपराध पनप रहा है और गैंग वार की शक्ल में सामने आने लगा है। गौर करें तो राजधानी लखनऊ में पूर्वांचल के माफिया का दखल रेलवे के बड़े टेंडरों को लेकर बढ़ा थाघ्। इसी कड़ी में वर्ष 1998 में सदर क्षेत्र रेलवे ठेकेदार व उपेन्द्र विक्रम सहित तीन की हत्या ने पूरे पुलिस महकमे को हिलाकर रख दिया था। बाद में 2000 में जेल अधीक्षक आरपी तिवारी की हत्या हुई।
इसके बाद पूर्वांचल के बदमाशों का दखल लखनऊ विश्वविद्यालय में बढ़ता चला गया। छात्र नेता रहे बबलू उपाध्याय व अभिषेक सिंह सहित कई अन्य हत्याओं ने छात्र राजनीति को अखाड़े में तब्दील कर दिया। अजीत हत्याकांड में पकड़े गए शूटर संदीप सिंह उर्फ बाबा के बाद एक बार फिर साफ हो गया कि शहर की नई बसी कालोनियों में बदमाश पनाह ले रहे हैं। पिछले कुछ सालों में राजधानी लखनऊ के थानों में दर्ज कराये गए वसूली मांगने के मुकदमे इसके गवाह हैं। अब एक बार फिर विभूतिखंड क्षेत्र में नाइन एमएम पिस्टल से ताबड़तोड़ गोलीबारी कर पूर्व विधायक सर्वेश सिंह उर्फ सिपू के गवाह पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह की हत्या ने राजधानी पुलिस को ही नहीं राज्य की एसटीएफ को भी बेचैन कर दिया था।
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