पुलिस ने छ: माह बाद दर्ज किया रेप का मुकदमा

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चंदन अग्रहरि शाहगंज, जौनपुर। कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में चार फरवरी को 11 वर्षीय नाबालिग के साथ उसके ही बड़े पिता के पुत्र ने दुराचार किया। घटना के छ: महीने बाद पुलिस अधीक्षक के संज्ञान लेने पर पुलिस ने केस दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया। मामले में हल्का दरोगा की मिलीभगत की चर्चा जोरों पर है। छ: महीने पहले नाबालिग को घर में अकेला पाकर उसके ही रिश्ते के भाई ने दुराचार कर रिश्ते को कलंकित किया। पीड़ित किशोरी ने आपबीती परिजनों को बताई तो परिजन न्याय की गुहार लगाने थाने पहुंचे। तत्कालीन हल्का दरोगा शितलू राम ने मुकदमा दर्ज करने के लिए कोतवाल का निर्देश चाहा। जिस पर तत्कालीन कोतवाल जयप्रकाश सिंह ने दरोगा का हलका बदलकर अपने चहेते को जिम्मेदारी दी। आरोप है कि पहले थाने से पीड़ित को समझा बुझाकर थाने से बैरंग लौटा दिया गया। लेकिन पीड़िता के परिजनों के दबाव बनाने पर हलका दरोगा जितेंद्र बहादुर सिंह ने आरोपी का पक्ष लेते हुए थाने में दोनों पक्षों को बैठाकर जबरिया समझौता करा दिया। एक तरफा कार्यवाही से आजिज परिवार ने मुख्य मंत्री शिकायत पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज कर न्याय की गुहार लगाई। परिवार के लोग पीड़िता को लेकर पुलिस अधीक्षक के दरबार पहुंचे जहां हल्का दरोगा और तत्कालीन कोतवाल की कारस्तानियां बताई। मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी ने पुलिस अधीक्षक नगर को मामले की जांच का निर्देश दिया। बुधवार की रात एसपी सिटी, क्षेत्राधिकारी जितेंद्र कुमार दुबे पीड़िता के घर पहुंचकर मामले की जांच करते हुए घटना में केस दर्ज कर कार्यवाही का निर्देश दिया। पुलिस ने आरोपी विवेक कुमार पुत्र मुकेश पर दुराचार एवं पक्सो अधिनियम की धारा में मामला दर्ज किया। शुक्रवार को पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय भेज दिया। मामले में क्षेत्राधिकारी जितेंद्र कुमार दुबे ने बताया कि परिवार से जुड़ा मामला था। जिसमें दोनों पक्ष सुलह समझौता कर चुके थे। बाद में पीड़ित परिवार के न मानने पर पुलिस ने कार्यवाही की।

चंदन अग्रहरि
शाहगंज, जौनपुर। कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में चार फरवरी को 11 वर्षीय नाबालिग के साथ उसके ही बड़े पिता के पुत्र ने दुराचार किया। घटना के छ: महीने बाद पुलिस अधीक्षक के संज्ञान लेने पर पुलिस ने केस दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया। मामले में हल्का दरोगा की मिलीभगत की चर्चा जोरों पर है।

जौनपुर। जनपद में विशेष संचारी अभियान 01 से 31 जुलाई तक चलाया जा रहा है। जिसके अन्तर्गत नगर पालिका द्वारा भण्डारी, नईगंज, जहांगीराबाद, उमरपुर, ओलंदगंज, नखास सहित विभिन्न स्थानों पर एण्टी लार्वा, फागिंग एवं सैनिटाइजेशन का कार्य कराया गया। पशु चिकित्सा अधिकारियों के द्वारा सूअर पालकों को संचारी रोग अभियान के अंतर्गत साफ-सफाई एवं सूकरों को गांव से बाहर सूकर वाड़ा बनवाकर रखने के लिए प्रेरित किया गया। मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी ने कहा कि सूकर पालक गांव से बाहर अपना सूकर वाड़ा बनवाये और वहीं पर सूकर पालन करें। पंचायती राज विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में नालियों, झाड़ियों एवं चकरोड की साफ-सफाई, एण्टी लार्वा एवं ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव, शौचालयों के प्रयोग के लिए प्रेरित करना आदि कार्य किया गया। साथ ही संचारी रोग के बारे में लोगों को जागरूक किया गया। आईसीडीएस विभाग द्वारा मातृ समिति की बैठक की गई। वहीं कृषि विभाग द्वारा किसान जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया।

छ: महीने पहले नाबालिग को घर में अकेला पाकर उसके ही रिश्ते के भाई ने दुराचार कर रिश्ते को कलंकित किया। पीड़ित किशोरी ने आपबीती परिजनों को बताई तो परिजन न्याय की गुहार लगाने थाने पहुंचे। तत्कालीन हल्का दरोगा शितलू राम ने मुकदमा दर्ज करने के लिए कोतवाल का निर्देश चाहा।

चंदन अग्रहरि शाहगंज, जौनपुर। बिजली फाल्ट से परेशान आमजन की समस्या को लेकर नगर पालिका परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष श्याम गुप्ता ने जन सुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने शिकायत में कहा कि ट्रांसफार्मर पर कट आउट हुआ कट ऑफ स्विच लगाने की बात कही। शिकायत में श्याम जी गुप्ता ने कहा कि शाहगंज व ग्रामीण फीडर संयुक्त रूप से संचालित होता है जिसका दायरा करीब 4 किमी तक है इस दायरे के बीच लाइन में फाल्ट आने पर उसे ठीक करने के लिए शटडाउन किया जाता है। जिससे लोगों को परेशान होना पड़ता है अगर ट्रांसफार्मर पर कट आउट व कट ऑफ स्वीच लगा दिया जाए तो उसी क्षेत्र के लोग प्रभावित होंगे।

जिस पर तत्कालीन कोतवाल जयप्रकाश सिंह ने दरोगा का हलका बदलकर अपने चहेते को जिम्मेदारी दी। आरोप है कि पहले थाने से पीड़ित को समझा बुझाकर थाने से बैरंग लौटा दिया गया। लेकिन पीड़िता के परिजनों के दबाव बनाने पर हलका दरोगा जितेंद्र बहादुर सिंह ने आरोपी का पक्ष लेते हुए थाने में दोनों पक्षों को बैठाकर जबरिया समझौता करा दिया। एक तरफा कार्यवाही से आजिज परिवार ने मुख्य मंत्री शिकायत पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज कर न्याय की गुहार लगाई।

चंदन अग्रहरि शाहगंज, जौनपुर। नगर के रामपुर रोड़ मुहल्ला निवासी एक किराना व्यवसायी की कोरोना संक्रमण रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जिससे व्यापारियों में भय व्याप्त है। नगर के श्री रामपुर रोड़ गांधी नगर कलेक्टरगंज मुहल्ला निवासी एक किराना व्यवसाई की शनिवार को जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद व्यापारियों हड़कंप मच गया। सभी व्यापारी स्वास्थ्य को लेकर सशंकित है।

परिवार के लोग पीड़िता को लेकर पुलिस अधीक्षक के दरबार पहुंचे जहां हल्का दरोगा और तत्कालीन कोतवाल की कारस्तानियां बताई। मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी ने पुलिस अधीक्षक नगर को मामले की जांच का निर्देश दिया। बुधवार की रात एसपी सिटी, क्षेत्राधिकारी जितेंद्र कुमार दुबे पीड़िता के घर पहुंचकर मामले की जांच करते हुए घटना में केस दर्ज कर कार्यवाही का निर्देश दिया।

पंकज बिंद महराजगंज, जौनपुर। लूट, चोरी, मारपीट व हत्या के प्रयास के आरोपी 10 हजार के इनामी बदमाश को एसटीएफ वाराणसी की टीम ने लोहिंदा चौराहे से मंगलवार की रात गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार थाना क्षेत्र के लमहन निवासी मोहम्मद आरिफ लोहिंदा चौराहे पर पुलिस टीम को देखकर बाइक लेकर भागने लगा। ऐसे में एसटीएफ वाराणसी की टीम ने उसे घेराबंदी करके पकड़ लिया। आरिफ पर पिछले 2 सालों में लूट, भैंस चोरी, मारपीट, हत्या के प्रयास सहित आधा दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। आरिफ की बढ़ती आपराधिक घटनाओं को देखते हुए प्रशासन ने इस पर 10 हजार का इनाम घोषित किया था। मुखबिर की सूचना पर एसटीएफ वाराणसी की टीम ने लोहिंदा चौराहे से उसे उस समय गिरफ्तार कर लिया जब वह कहीं भागने की फिराक में था। क्षेत्र के पशुपालकों में इसका बहुत आतंक था।

पुलिस ने आरोपी विवेक कुमार पुत्र मुकेश पर दुराचार एवं पक्सो अधिनियम की धारा में मामला दर्ज किया। शुक्रवार को पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय भेज दिया। मामले में क्षेत्राधिकारी जितेंद्र कुमार दुबे ने बताया कि परिवार से जुड़ा मामला था। जिसमें दोनों पक्ष सुलह समझौता कर चुके थे। बाद में पीड़ित परिवार के न मानने पर पुलिस ने कार्यवाही की।

जौनपुर। भाजपा कार्यालय पर सामाजिक दूरी का ख्याल रखते हुये जिलाध्यक्ष श्री पुष्पराज सिंह के अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें आपातकाल पर चर्चा हुई। जिलाध्यक्ष ने कहा कि 25 जून का दिन एक विवादस्पद फैसले के लिए जाना जाता है यही वह दिन था जब देश में आपातकाल लगाने की घोषणा हुई तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनता को बेवजह मुश्किलों के समुंदर में धकेल दिया। 25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई और 26 जून 1975 से 21-मार्च 1977 तक यानी 21 महीने की अवधि तक आपातकाल जारी रहा। आपातकाल के फैसले को लेकर इंदिरा गांधी द्वारा कई दलीलें दी गईं। देश को गंभीर खतरा बताया गया, लेकिन पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और ही थी उन्होंने कहा कि हमारे जिले जौनपुर से भी कई नेता जेल गए जिसमे मुख्य रूप से पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह अल्प आयु में ही जेल गए कैलाश विश्वकर्मा जी, हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव तमाम नेता जेल गये थे। जिलाध्यक्ष ने कहा कि आपातकाल की नींव 12 जून 1975 को ही रख दी गई थी जब इंदिरा गांधी के खिलाफ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी राजनारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की राजनारायण ने अपनी याचिका में इंदिरा गांधी पर 6 आरोप लगाये थे 12 जून 1975 को राजनारायण की इस याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया इंदिरा गांधी को चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का दोषी पाया गया और इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद्द कर दिया और 6 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ता इसलिए इस लटकती तलवार से बचने के लिए प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर आपात बैठक बुलाई गई। इस दौरान कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष डीके बरुआ ने इंदिरा गांधी को सुझाव दिया कि अंतिम फैसला आने तक वो कांग्रेस अध्यक्ष बन जाएं और प्रधानमंत्री की कुर्सी वह खुद संभाल लेंगे लेकिन बरुआ का यह सुझाव इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी को पसंद नहीं आया संजय की सलाह पर इंदिरा गांधी ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 23 जून को सुप्रीम कोर्ट में अपील की सुप्रीम कोर्ट ने अगले दिन 24 जून 1975 को याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वो इस फैसले पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें प्रधानमंत्री बने रहने की अनुमति दे दी, मगर साथ ही कहा कि वो अंतिम फैसला आने तक सांसद के रूप में मतदान नहीं कर सकतीं विपक्ष के नेता सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला आने तक नैतिक तौर पर इंदिरा गांधी के इस्तीफे पर अड़ गए। एक तरफ इंदिरा गांधी कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रहीं थीं, दूसरी तरफ विपक्ष उन्हें घेरने में जुटा हुआ था। गुजरात और बिहार में छात्रों के आंदोलन के बाद विपक्ष कांग्रेस के खिलाफ एकजुट हो गया। लोकनायक कहे जाने वाले जयप्रकाश नारायण (जेपी) की अगुआई में विपक्ष लगातार कांग्रेस सरकार पर हमला कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अगले दिन 25 जून 1975 को दिल्ली के रामलीला मैदान में जेपी ने एक रैली का आयोजन किया जिसमे अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, आचार्य जेबी कृपलानी, मोरारजी देसाई और चंद्रशेखर जैसे तमाम दिग्गज नेता एक साथ एक मंच पर मौजूद थे। विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से इमरजेंसी के घोषणा पत्र पर दस्तखत करा लिए जिसके बाद सभी विपक्षी नेता गिरफ्तार कर लिए गए 26 जून 1975 को सुबह 6 बजे कैबिनेट की एक बैठक बुलाई गई इस बैठक के बाद इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो के ऑफिस पहुंचकर देश को संबोधित किया उन्होंने कहा कि आपातकाल के पीछे आंतरिक अशांति को वजह बताई लेकिन इसके खिलाफ गहरी साजिश रची गई इसके बाद प्रेस की आजादी छीन ली गई, कई वरिष्ठ पत्रकारों को जेल भेज दिया गया अखबार तो बाद में फिर छपने लगे, लेकिन उनमें क्या छापा जा रहा है। ये पहले सरकार को बताना पड़ता था। इमरजेंसी का विरोध करने वालों को इंदिरा गांधी ने जेल भेज दिया था 21 महीने में 11 लाख लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. 21 मार्च 1977 को इमरजेंसी खत्म करने की घोषणा की गई। इंदिरा गांधी और कांग्रेस आपातकाल को संविधान के अनुसार लिए गया फैसला बताते रहे, लेकिन वास्तव में उन्होंने 1975 में संविधान द्वारा दिए गए इस अधिकार का दुरुपयोग किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से शामिल जिला उपाध्यक्ष सुरेंद्र सिंघानियां, अमित श्रीवास्तव, जिला महामंत्री शुशील मिश्रा, पीयूष गुप्ता, जिला मंत्री राजू दादा, अभय राय डीसीएफ चेयरमैन धन्यजय सिंह, भूपेंद्र पांडे, आमोद सिंह, विनीत शुक्ला, राजवीर दुर्गवंशी, रोहन सिंह, इन्द्रसेन सिंह प्रमोद, अनिल गुप्ता, प्रमोद प्रजापति, भाजयुमो जिला महामंत्री विकास ओझा, शुभम मौर्या आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे। केराकत, जौनपुर। स्थानीय कोतवाली पुलिस की करतूत छापना एक पत्रकार के लिए पीड़ादायी बन गया। खबर से झल्लाये कोतवाली प्रभारी विनोद सिंह ने बुधवार को पत्रकार रामशरण यादव का सीआरपीसी की धारा 151 में चालान कर दिया। घटना से तहसील क्षेत्र के सभी पत्रकारों में काफी रोष व्याप्त है। पत्रकारों ने एसपी से कार्रवाई की मांग की है। आपको बता दे कि पिछले हफ्ते कोतवाली थाना क्षेत्र के धधियाँ गांव के एक वृद्ध व्यक्ति को कोतवाली पुलिस ने मनमाने ढंग से हिरासत में लेकर लॉकअप में डाल दिया और उससे उसके बेटे को जेल भेजने के लिए बुलाने का दबाव बनाने लगे। थाना प्रभारी ने बुजुर्ग व्यक्ति को धमकी दिया कि वह यदि बेटे को नहीं बुलायेगा तो उसका गांजा के साथ चालान कर देंगे। पीड़ित बुजुर्ग ने यह बात समाचार संकलन करने गए पत्रकार रामशरण को बताई जिस पर पत्रकार रामशरण यादव सहित अनेक अन्य पत्रकारों ने अपने अपने अखबार और न्यूज पोर्टल पर भेज दिया। खबर छपी तो कप्तान ने थाना प्रभारी का क्लास लगा दिया। यह बात वायरल हुई तो थाना प्रभारी ने खुन्नस में आकर पत्रकार के खिलाफ फर्जी एफआईआर लेकर 151 में चालान किया। शिकायत है कि थाना प्रभारी ने फर्जी ढंग से पत्रकार रामशरण यादव के खिलाफ तहरीर लेकर पत्रकार को हिरासत में ले लिया और जलील किया। कई घंटे थाने में बैठाने के बाद थाना प्रभारी ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 151 में चालान भेज दिया। घटना से तहसील के पत्रकारों में रोष है। इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी से की गई है।

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