JAUNPUR NEWS : गीता जयंती पर कुटीर संस्थान का मनाया गया 86वां संस्थापना दिवस

JAUNPUR NEWS : गीता जयंती पर कुटीर संस्थान का मनाया गया 86वां संस्थापना दिवस

श्यामधनी यादव
पराऊगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के ग्राम पंचायत खालिसपुर खुर्द चक्के स्थित कुटीर संस्थान में रविवार को गीता जयन्ती पर अभयजीत दूबे स्मृति सभागार में पूर्व अध्यक्ष वैदिक दर्शन विभाग एवं पूर्व संकाय अध्यक्ष संस्कृत विद्या एवं धर्म विज्ञान संकाय काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के प्रो. कृष्णकांत शर्मा की अध्यक्षता में कुटीर संस्थान द्वारा अपना 86वां संस्थापना दिवस समारोह मनाया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम कार्यक्रम के अतिथियों ने तथा संस्थान के तीनों इकाइयों सहित कुटीर महाविद्यालय के व्यस्थापक डॉ अजयेंद्र दूबे व प्रो. मेजर डॉ रमेशमणि त्रिपाठी ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन एवं संस्थान के संस्थापक यशःशरीर अभयजीत दूबे की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया।

समारोह में शिरकत करने आये काशी हिन्दू विवि के धर्मार्थ एवं संस्कृत विभाग के विद्वतजनद्वय कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. कृष्णकांत शर्मा पूर्व संकायध्यक्ष वेद विभाग संस्कृतविद्या व धर्म विज्ञान विभाग और मुख्य वक्ता प्रो. पतंजलि मिश्र अध्यक्ष वेद विभाग संस्कृत विद्या एवं धर्म विज्ञान संकाय बीएचयू का आगमन हुआ जिनको मंच के माध्यम से संस्थान के प्रबंधक, प्राचार्य, प्रधानाचार्य द्वारा पुष्प गुच्छ, स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्रम प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुई जबकि महविद्यालय के छात्राओं ने मंच से संस्थान का कुल गीत भी प्रस्तुत किया। तत्पश्चात महाविद्यालय के प्राचार्य मेजर डॉ रमेशमणि त्रिपाठी ने स्वागत भाषण द्वारा नवआगंतुकों का स्वागत किया।

मुख्य वक्ता प्रो पतंजलि मिश्र ने श्रीमद भगवत गीता के महत्व एवं उपयोगिता को समझाते हुए बताया कि सात्विक भोजन से सात्विक बुद्धि तथा तामसी भोजन से तामसी बुद्धि का विकास होता है। उन्होंने बताया कि भोजन से रक्त, रक्त से वीर्य, वीर्य से ओज, ओज से मन तथा मन से बुद्धि का विकास होता है। काम क्रोध को सहन करने से जीवन मे सुख की प्राप्ति होती है। प्रो. कृष्णकांत शर्मा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि मोक्ष के महत्वपूर्ण तिथि में भगवान ने गीता का उपदेश दिया। इसका महत्व गंगा से भी बड़ा है। गंगा में स्नान करने से व्यक्ति स्वयं का कल्याण करता है परंतु श्रीमद भगवत गीता रूपी जल में एक बार गोता लगाने से व्यक्ति स्वयं के साथ समाज की भी मुक्ति करता है। इससे सांसारिक आवागमन से मुक्ति मिल जाती है।

अर्थात मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके पहले संस्थान परिसर में स्थित गीता पुस्तकालय के समक्ष सुबह से हवन पूजन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किया गया। संस्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में क्षेत्र के सम्मानित गणमान्य जन, पत्रकारगण, संस्थान के छात्र—छात्राएं, शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान संस्थान के सर्वश्रेष्ठ छात्र एवं छात्राओं को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में संस्थान के यशस्वी प्रबंधक डॉ अजयेंद्र दुबे ने संस्थान के छात्रों को अपने कर्तव्य मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ने का संदेश देते हुए आए हुए मुख्य अतिथियों एवं आगंतुकों का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन अध्यापिका छवि गुप्ता ने किया।

इस अवसर पर महाविद्यालय के भूगोल विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ राघवेंद्र पांडेय, लेफ्टिनेंट डॉ चित्रसेन गुप्ता, बीएड विभागाध्यक्ष डॉ सीबी पाठक, डॉ रामेश्वर मिश्र, डॉ सुरेंद्र दुबे, डॉ नीता तिवारी, भूषण मिश्र, एबीएसए अमित दुबे, डीएचओ संदीप गुप्ता, डॉ अनुज शुक्ला, पंकज मिश्र, भारत सिंह, पूनम सिंह सहित महाविद्यालय के अन्य कर्मचारी, छात्र— छात्राएं आदि उपस्थित रहे।

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