क्या शासन के आदेश को मानेंगे प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टर?
तेजस टूडे ब्यूरो
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। उत्तर प्रदेश में प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों के साथ उस नर्सिंग होम का लाइसेंस भी निरस्त किया जाएगा, जहां वह डॉक्टर काम करता पाया जाएगा।प्रैक्टिस करते हुए पकड़े गए तो आयकर विभाग से कमाई की जांच भी कराई जा सकती है। वहीं बर्खास्तगी के साथ ही एमसीआई डॉक्टरी की डिग्री भी निरस्त करेगी। प्रदेश सरकार ने हर जिले में एक कमेटी बनाकर इसकी निगरानी करने के भी आदेश दिए हैं। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रशांत त्रिवेदी की ओर से इस संबंध में आदेश 2017 को जारी किए गए थे। निजी प्रैक्टिस करते पकड़े गए डॉक्टरों से नॉन प्रैक्टिस एलाउंसेज के तौर पर किए गए भुगतान की पूरी राशि वसूल की जाएगी।
डीएम और सीएमओ के माध्यम रोकथाम के संबंध में होर्डिंग लगाकर जागरूकता भी की जाएगी। वहीं जिले में डॉक्टरों का एक ऐसा ग्रुप है जो प्राइवेट प्रैक्टिस में लगातार लगा हुआ है।अपनी ऊंची पहुंच और रसूख के दम पर धनबल का प्रयोग करते हुए सभी के मुंह पर ताला लगा के प्राइवेट प्रैक्टिस में मशगूल हैं।जिसका खामियाजा गरीब जनता को भुगतना पड़ रहा है। आराध्य हॉस्पिटल में जिला अस्पताल के मशहूर फिजीशियन खुल के प्रैक्टिस करते हैं जिन्हें न ही शासन का डर है और न ही प्रशासन का डर है जबकि शासनादेश में स्पष्ट है की सरकारी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकता और अगर करता हुआ पाया जाएगा तो उनके ऊपर कार्रवाई की जाएगी।सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार चाहे जितनी कमेटियां गठित कर ले लेकिन जबतक वह कमेटी इमानदारी से काम नहीं करेगी तब तक जनता को राहत नहीं मिलेगी।इससे पहले भी कई विभागों की निगरानी के लिए कमेटी बनाई गई है लेकिन कमेटी खुद भ्रष्टाचारियों के साथ अपना हिस्सा बांट लेती है।
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इनसेट
शासनादेश से हटकर अपना ही नियम बता रहे सीएमएस
जिला अस्पताल के अधिकतर डॉक्टर खुलेआम प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं कुछ लोगों ने तो बकायदा अपना एक हॉस्पिटल भी खोल रखा है जबकि योगी सरकार ने प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक लगा रखी है। सूत्रों की माने तो जिला अस्पताल के जितने भी डॉक्टर हैं सभी प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं।सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं और इन सब के ऊपर सीएमएस एनके श्रीवास्तव छत्रछाया बतलाई जा रही है और कभी जब इस पर सवाल करिए तो गोलमोल जवाब देते हुए बात को टाल देते हैं।
प्राइवेट प्रैक्टिस पर सरकार ने सख्त रोक लगा रखी है शासनादेश के अनुसार प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के सभी पद नान प्रैक्टिस किए गए हैं। सरकारी डॉक्टर एलोपैथिक प्राइवेट प्रैक्टिस पर निर्बरधन नियमावली 1983 यथा संशोधित नियमावली 2003 में निजी प्रैक्टिस को प्रतिबंधित किया गया है इसका उल्लंघन करने पर चिकित्सा अधिकारियों को दुराचरण का दोषी माना जाएगा और अगर कोई सरकारी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस में दोषी पाया जाता है तो उसके ऊपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी,प्रैक्टिस बंदी भत्ते की वसूली होगी।इसके साथ संबंधित अस्पताल जहां पर वह प्रैक्टिस करते हुए पाया जाता है उसके ऊपर भी कानूनी कार्रवाई करते हुए उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा।
क्या कहते हैं जिले के मुखिया
कोई सरकारी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए पाए जाते हैं तो उनके ऊपर शासनादेश के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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