भोजपुरी गीतों में व्याप्त अश्लीलता समाज को कर रहा दागदार विनोद कुमार भोजपुरी एक ऐसी भाषा जिसे सुनने व बोलने वालो की संख्या काफी तादात में है देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भोजपुरी बोलने वालो की संख्या काफी है, मगर भोजपुरी फिल्मों या गानों का जब जब जिक्र होता है तो लोगो के दिलो दिमाग में सबसे पहले यही आता है कि भोजपुरी फिल्मों या गानों में कितनी अश्लीलता और फूहड़ता होती है। इन फिल्मों को आप परिवार के साथ बैठकर नहीं देख सकते है।
भोजपुरी के बड़े सितारों से लेकर उभरते कलाकार भी अश्लील गाने गा कर सुर्खियां बटोर रहे है। आज की परिवेश की अगर हम बात करे तो भोजपुरी गानों में अश्लीलता कूट कूट कर भरी हुई है। आज हर कलाकार अश्लील गानों के भरोसे अपना कैरियर बनाने के प्रयास में जुटे हुए हैं। बात करें पवन सिंह की लालीपाप लागेलू से लेकर रात दिया बुता के पिया क्या क्या किया। रितेश पांडेय की पियवा से पहले हमार रहलु समेत खेसारी लाल यादव मलवा के बेटा मामा कहता जैसे कई सितारे अश्लील गाने गाकर आज कामियाबी की बुलंदियों को छू रहे है।
इस समय एक और भोजपुरी गाना देवरा ढोढ़ी चटना बा सोसल मीडिया पर धूम मचा रहा है। अश्लील गाना बजाने वाला तो नहीं लेकिन सुनने वाला समाज जरूर शर्मशार हो रहा है। कुछ लोगों ने इस पर रोक लगाने की जिम्मा उठाया है, मगर सफलता नहीं मिली हमारी सभ्यता व संस्कृति के विपरीत आज अश्लील गीत युवाओं की पहली पसंद बना हुआ है। इन गीतों में अधिकांश शब्द व लाइने इतनी फूहड़ व अश्लील है जिसे लिख पाना भी संभव नहीं है लेकिन विडंबना यह है कि ऐसे गीत आज हमारे समाज में बेरोक टोक बजाये जा रहे है। खास बात यह कि इन्हीं अश्लील गीतों की धुन पर घर की बहू-बेटियां भी नाचती-थिरकती नजर आती है। इससे भी दुखद यह कि इस अश्लीलता के खिलाफ किसी स्तर पर कोई आवाज भी बुलंद होता नजर नहीं आ रहा है। ऐसा लगता है जैसे साफ-सुथरे गीतों का जमाना ही बीत गया हो। ऐसे-ऐसे गीत रचे जा रहे है जिसमें कुछ भी ढ़का-छिपा नहीं रह गया है।
गीतकार, संगीतकार व गायक सभी ने अश्लीलता को ही सफलता की कुंजी मान लिया है। हालांकि नित नये अश्लील गीतों के अस्तित्व में आने का एक बड़ा कारण समाज में इसकी स्वीकार्यता भी है। निसंदेह एक भद्दी परंपरा की शुरूआत हो चुकी है जो सभ्यता व संस्कृति के लिए घातक है। इसे रोकने के लिए समाज के सभी वर्गो को मिलकर पहल करना चाहिए। तब जाकर भोजपुरी से अश्लीलता को खत्म किया जा सकता है या भोजपुरी फिल्मों व गानों के लिए भी सेंसर बोर्ड का होना चाहिए जिसे सुनने व देखने के बाद ही उसे बाजार में लाया जा सके, अन्यथा भोजपुरी में अश्लीलता को रोकना मुश्किल है। बहरहाल जो भी भोजपुरी गीतों में व्याप्त अश्लीलता से समाज का दामन दागदार होने का सिलसिला जारी है।
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