फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर चल रहा जाकरूकता कार्यक्रम
फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर चल रहा जाकरूकता कार्यक्रम
निशा
नुआंव, कैमूर (बिहार)। आगामी 11 नवम्बर को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस के तहत नुआंव स्वास्थ्य विभाग के एसएमसी (सोशल मोबिलाइजिशन को-ऑर्डिनेटर) शिवनंदन कुमार द्वारा नुआंव प्रखंड क्षेत्र के कई आंगनवाड़ी केंद्रों पर फाइलेरिया उन्मूलन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में मंगलवार को बड्ढा कोड संख्या 14 पर जाकर फाइलेरिया उन्मूलन के बारे मे जानकारी दिया गया।
शिवनंदन कुमार द्वारा बताया गया कि 11 नवंबर को राष्ट्रीय फाइलेरिया दिवस व 27फरवरी को विश्व फाइलेरिया उन्मूलन दिवस मनाया जाता है। 1949 से 1954 में देश के उड़ीसा राज्य मे पायलट प्रोजेक्ट के बाद 1955 में देश मे राष्ट्रीय फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (एनएफसीपी) शुरू किया गया है। जिसका उद्देश्य समस्या का परिसीमन करना,स्थानीय क्षेत्रों मे नियंत्रण उपाय करना,और कर्मियों को कार्यक्रम चलाने के लिए प्रशिक्षित करना है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं हालांकि बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांगों और उसके आसपास दर्द व सूजन की समस्या होती है।
इसके अलावा पैरों और हाथों पर सूजन, हाइड्रोसील की सूजन भी फैलेरिया के लक्षण है। नवंबर माह के तीसरे सप्ताह से रोग उन्मूलन के लिए मुफ्त दवा खिलाई जाएगी इसके पहले व्यापक रूप से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है ताकि एक भी व्यक्ति और दवा खाने से छूट न जाए उन्होंने बताया कि दवा 2 वर्ष उम्र से ऊपर वाले लोगों को खिलानी है। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम पीसीआई प्रोजेक्ट इंटरनेशनल संस्था द्वारा राज्य स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से चलाया जा रहा है।
कहा कि फाइलेरिया एक घातक बीमारी है या धागों के समान दिखने वाले कीड़े का शरीर में प्रवेश करने से होता है इसका लक्षण आमतौर पर जो दिखाई नहीं देता है और जब दिखाई देता है तो अक्षर पर हाथी पाओं का रूप धारण कर लेता है तब इसका इलाज संभव नहीं है। इस मौके पर आंगनवाड़ी सेविका सीमा चतुर्वेदी, जीविका से शीला वर्मा, वार्ड सदस्य आशा गुप्ता, आशा सरस्वती देवी, आशा शिवकुमारी देवी, आशा उषा कुंवर व आंगनवाड़ी केंद्र के बच्चे सम्मिलित रहे।
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