प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के ठठरा गांव का हाल बेहाल
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के ठठरा गांव का हाल बेहाल
कूड़ेदान के आभाव मे चारों तरफ पसरा पड़ा है कूड़ा
निलेश त्रिपाठी
मिर्जामुराद, वाराणसी। स्थानीय क्षेत्र के ठठरा गांव में अधिकांश जगहों पर डस्टबिन उपलब्ध नहीं है जिससे आम जनता को कूड़ा करकट फेंकने में असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। कूड़ेदान के अभाव में लोग प्लास्टिक, बिस्किट रैपर, सड़े गले फल सहित अन्य अनुपयोगी खाद्य सामग्रियों को सड़कों,खाली स्थानों पर फेंकने को मजबूर है। कछवा रोड चौराहे पर सार्वजनिक उपयोग हेतु एक भी डस्टबिन/ कूड़ेदान का नामोनिशान तक नहीं है।
खुले मे फेंके गए प्लास्टिक व खाद्य पदार्थ तमाम प्रकार के जीवाणु,कीटाणु व मक्खियों-मच्छरो के आवास के रूप में परिवर्तित हो गए है। फल स्वरूप कीटाणु व मच्छरों-मक्खियों से तमाम प्रकार की गंभीर बीमारी जैसे डेंगू, मलेरिया, व्यापक मात्रा में फैल रही है। डस्टबिन के महत्व को ऐसे समझा जा सकता है कि यदि एक डस्टबिन/ कूड़ेदान किसी घर के बाहर रखा हुआ है तो उस घर में मच्छरों सहित अन्य कीटाणुओं से होने वाली बीमारियों की संभावना एकदम कम हो जाती है, क्योंकि सारा कूड़ा करकट डस्टबिन में फेंका जाता है और डस्टबिन में एकत्रित कूड़े को सही जगह ठिकाने लगाया जाता है।
लेकिन ग्राम सभा ठठरा के अधिकांश जगहों पर कोई भी डस्टबिन देखने को नहीं मिला। डस्टबिन के स्थान पर कई जगह कूड़े का ढेर देखने को मिला, अब यह प्रश्न तो स्वभाविक है कि खुले में कचरा व डस्टबिन का अभाव क्या प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत व स्वस्थ भारत के इरादों को कचरे के तले दाबे जाने की कोशिश है?
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