लंदन अन्तरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषद में महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय द्वारा शोध प्रस्तुत

लंदन अन्तरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषद में महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय द्वारा शोध प्रस्तुत!

योग्य पेय पीने पर सकारात्मकता निर्माण होती है: शॉन क्लार्क

करण समर्थ
मुंबई। सकारात्मक प्रभामंडल से युक्त पेय पदार्थों का मानव पर विलक्ष्ण सकारात्मक प्रभाव होता है। जिसका शारीरिक और मानसिक दोनों स्तरों पर स्वास्थ में सुधार होता है और रोगों का संकट अल्प होता है, साथ ही नकारात्मक कष्ट होने की संभावना भी अल्प होती है, ऐसा प्रतिपादन महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय के शॉन क्लार्क ने किया।
इंग्लंड के लंडन शहर में आयोजित ‘सतरहवे इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन न्यूट्रिशन एंड हेल्थ’ इस अंतरराष्ट्रीय परिषद में वे बोल रहे थे।
इस परिषद का आयोजन ‘अलाईड एकॅडमीज, यूके व्दारा किया था। शॉन क्लार्क ने ‘पेय पदार्थों का मानवों पर आध्यात्मिक दृष्टि से होनेवाला परिणाम’, यह शोधनिबंध प्रस्तुत किया। इस शोधनिबंध के संयुक्त लेखक महर्षि अध्यात्म‌ विश्‍वविद्यालय के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी तथा शॉन क्लार्क हैं।

महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय की ओर से प्रस्तुत यह 84 वां प्रस्तुतीकरण था, जो की काफी महत्वपूर्ण था। महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय की ओर से अब तक 15 राष्ट्रीय तथा 68 अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषदों में विभिन्न विषयों पर शोध निबंध प्रस्तुत किए गए हैं। इनमें से 9 अंतरराष्ट्रीय परिषदों में शोधनिबंधों को ‘सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार’ प्राप्त हुए है।

शॉन क्लार्क ने अपने प्रस्तुतीकरण में पेय पदार्थों से संबंधित महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय का जो शोध निबंध प्रस्तुत किया, उसके निष्कर्ष इस प्रकार है।
अन्न तथा पेय पदार्थों में सकारात्मक अथवा नकारात्मक स्पंदन होते हैं। इसलिए उनके सेवन के उस व्यक्ति के प्रभामंडल पर तत्काल परिणाम होता है। महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय ने आठ पेय पदार्थों का व्यक्तियों के प्रभामंडल पर होनेवाले सूक्ष्म परिणाम का अध्ययन किया। अलकोहल वाली रेड वाईन की प्रभामंडल सर्वाधिक याने 11.4 प्रतिशत नकारात्मक थी। उपरांत क्रमश: व्हिस्की, बियर और कोला यह पेय नकारात्मक प्रभामंडलवाली साबित हुई। बोतल बंद पानी का प्रभामंडल भी नकारात्मक दिखाई दिया । लेकिन नारियल पानी, संतरे का रस, देसी गाय का दूध और आध्यात्मिक शोध केंद्र का पानी में केवल सकारात्मक प्रभामंडल सामने आया।

मुंबई के एक ही प्रभाग के दो घरों के जल के नमूनों का अध्ययन करने पर दिखाई दिया कि ‘जिस घर में व्यक्ति आध्यात्मिक साधना करनेवाले होते हैं, उस घर के जल का प्रभामंडल सकारात्मक होता है तथा जिस घर में कोई भी आध्यात्मिक साधना नहीं करता, वहां के जल का प्रभामंडल नकारात्मक दिखाई दिया। इसलिए घर के सात्त्विक वातावरण का सकारात्मक परिणाम जल पर भी होता है, यह सिद्ध होता है।

महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय की एक जांच में एक पुरुष और एक महिला दोनों को प्रतिदिन एक पेय इस प्रकार आठ भिन्न-भिन्न पेय पीने के लिए दिए गए । प्रतिदिन पेय पीने के 5 मिनिट और 30 मिनिट उपरांत उन दोनों की युनिवर्सल ऑरा स्कैनर (यूएएस) द्वारा जांच की गई । तो इस जांच अनुसार व्यक्ति के प्रभामंडल पर सकारात्मक परिणाम करनेवाले पेय में से देसी गाय का दूध पीने पर दोनों की सकारात्मक प्रभामंडल में 500 से 600 प्रतिशत वृद्धि हुई और नकारात्मक प्रभामंडल लगभग 91 प्रतिशत इतना अल्प हुआ। अर्थात दोनों प्रकार की प्रभामंडल पर सर्वाधिक सकारात्मक परिणाम देसी गाय के दूध का हुआ। नारियल पानी पीने पर एक की सकारात्मक प्रभामंडल 900 प्रतिशत और दूसरे की 291 प्रतिशत बढी। संतरे का रस पीने पर सकारात्मक प्रभामंडल में 358 प्रतिशत वृद्धि हुई और नकारात्मक प्रभामंडल 85 प्रतिशत अल्प हुई। आध्यात्मिक शोध केंद्र के पानी के कारण नकारात्मक प्रभामंडल विलक्ष्ण प्रमाण में अल्प हुई।

व्यक्ति के प्रभामंडल पर नकारात्मक परिणाम करने वाले पेय में से व्हिस्की, बियर और वाईन जैसे अल्कोहलवाले मादक पेयों के कारण जांच के दोनों व्यक्तियों की सकारात्मक प्रभामंडल पेय पीने के पांच मिनिट उपरांत ही पूर्णत: नष्ट हुई । उन पर सर्वाधिक नकारात्मक परिणाम बियर का हुआ, बियर पीने के उपरांत दोनों में से एक का नकारात्मक प्रभामंडल 5000 प्रतिशत बढा, तो वाईन पीने के 30 मिनिट उपरांत की गई जांच में महिला का नकारात्मक प्रभामंडल 3691 प्रतिशत और पुरुष का 1396 प्रतिशत बढा था । कोला पेय का भी दोनों व्यक्तियों पर नकारात्मक परिणाम हुआ।
जीडीवी बायोवेल उपकरण का उपयोग कर किए गए अध्ययन में वाईन पीने के पूर्व व्यक्ति के सभी कुंडलिनी चक्र लगभग सीधी रेषा में और उचित आकार में थे, अर्थात वह व्यक्ति स्थिर आणि ऊर्जावान थी; परंतु वाईन पीने के उपरांत उसकी कुंडलिनी चक्र अव्यवस्थित और कुछ चक्र आकार में छोटे हुए, अर्थात वह व्यक्ति अस्थिर हुई तथा उसकी क्षमता भी घट गई।

एक पार्टी में सहभागी हुए दस लोगों पर की गई एक जांच में अल्कोहलवाले पेय पीनेवाले और बिना अल्कोहल का पेय पीनेवाले सभी का सकारात्मक प्रभामंडल नष्ट हुआ पाया गया । उस पार्टी में आध्यात्मिक दृष्टि से सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि करनेवाली कोई भी कृति न होने से वातावरण के नकारात्मक स्पंदनों का परिणाम बिना अल्कोहलवाले पेय पीनोंवालों पर हुआ और उनकी नकारात्मक प्रभामंडल में वृद्धि हुई।

इस शोध से यह सिद्ध होता है, सकारात्मक स्पंदन वाले गाय का दूध, नारियल पानी, संतरे (या फलों) का रस यह पेय भी व्यक्ति और समाज स्वास्थ्य तथा आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक होते हैं, यह इन शोध द्वारा ध्यान में आया।
लंदन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषद में महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय द्वारा शोध प्रस्तुत को आधुनिक शास्त्र अनुसार मान्यता प्राप्त होने पर मुंबई से फिल्म निर्देशक, धार्मिक तथा इतिहास विषयों के अभ्यासक और आयएनएन भारत मुंबई के करण समर्थ का मानना है कि, आज जब संपूर्ण विश्व भर में विभिन्न बीमारीयां फैली हुई है, ऐसे दूषित माहौल में हर व्यक्ति को अपने शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हमारे पूर्वजों की अध्यात्मिक तथा शास्त्रीय उपचारों को संपूर्ण विश्व लोहा मान रहा है और यह कितनी बार साबित हुआ है, तो हम भारतीयों को भी तुरंत इस पर अपना लक्ष्य केंद्रीत करना आवश्यक है। जिससे हम अपना और अपने परिवार को स्वस्थ सुखी जीवन व्यतीत करने का मौका दे सकते हैं।

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