आदिप्रश्न
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कोई तो है जो
इन तारों नक्षत्रों, पृथ्वी, चाँद, सूरज को
एक निश्चित दूरी में बाँधे
खेल रहा है
लट्टू की तरह
घूम रहे हैं ग्रह-नक्षत्र
अपनी परिधि में
गति करते
कोई तो है जो
खेल रहा है
यह खूबसूरत खेल
इस आनंददायी
खेल का नियम ही
नियंता हो रहा है
कोई तो है जो…!
(शुचि मिश्रा)