मित्रता व रिश्ते रेत के गोले होते हैं
मित्रता व रिश्ते रेत के गोले होते हैं
मित्रता व रिश्ते रेत के गोले होते हैं,
इन्हें बनाना बहुत आसान होता है,
लेकिन यह इतने नाज़ुक होते हैं,
कि सुरक्षित रखना कठिन होता है।
केवल पास पास होने से रिश्ते
और मित्रता सुदृढ़ नहीं होते हैं,
वैसे ही दूर दूर होने से भी रिश्ते
और मित्रता टूटा नहीं करते हैं।
परस्पर भावनाओं की कद्र से ही
एक दूसरे के प्रति प्रेम बढ़ता है,
प्रेम और विश्वास जब बढ़ते हैं,
तो रिश्ते व मित्रता सुदृढ़ होते हैं।
जब लगातार कोई दुख दर्द देता है,
उसे रेगमाल सा ही समझना चाहिये,
उसकी खरोंचें घायल करती हैं,
पर जीवन में चमक दे जाती हैं।
दुःख दर्द भी प्रेम व आस्था के
बदले में लिये और दिये जाते हैं,
आदित्य दुःख दर्द, प्रेम व आस्था
एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं।
कर्नल आदिशंकर मिश्र ‘आदित्य’
जनपद—लखनऊ
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