न खाता-न बही, भट्ठा संचालक जो करे, वही है सही
किस अधिकारी की सह पर संचालित होने लगे ईंट भट्ठे
आखिर अपने कर्तव्यों पर गम्भीर क्यो नही हो रहे अधिकारी?
विशाल रस्तोगी
लहरपुर, सीतापुर। नियमों और शासनादेशों का ईंट भट्ठा संचालकों पर कोई प्रभाव ही नहीं पड़ रहा है। यह संचालक नियमों को ताख पर रखकर अपनी मनमानी कर रहे हैं। जो जी में आता है, वहीं करने लगते हैं। एक बार फिर से कानून और शासनादेशों को तोड़ों वाला खेल फिर से शुरू हो गया है, वह भी ऐन चुनाव के वक्त जब सभी अधिकारियों की डियूटी लगी है। सभी अधिकारी सर्कुशलन चुनाव को सम्पन्न करवाने में जुट गये हैं। तब इन भट्ठा संचालकों ने गुनाहों को खले खेलना शुरू कर दिया है।
सवाल यह भी है कि आखिर क्या है साठ-गांठ और कौन कर रहा गुमराह कैसे संचालित होने लगे अवैध भट्ठे। सूत्रों की मानें तो कागजी कार्यवाही में कच्चे ईंट भट्ठों के मालिक अपने भट्ठे के संचालन को लेकर गति देने लगे हैं जबकि पिछली कार्यवाही व सरकार के जिओ को नजरअंदाज कर अपनी तानाशाही का रुतबा अख्तियार किये हुए हैं। प्रशासन की सख्ती के बाद भी फर्जी प्रदूषण का कागज न होने के बाद भट्ठों पर ईंट पाथने का काम मजदूरों से लिया जा रहा है। आखिर ये भट्ठा मालिक कच्ची ईंटों का भंडारण कर कहा ले जाना चाहते हैं या फिर प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर मनमानी चल रही है। अब सवाल यह उठ रहा है।
आखिर किसकी अनुमति पाकर भट्ठे को संचालित करने का पुरजोर प्रयास होने लगा है। सूत्रों की मानें तो सरकार ने सन 2012 के बाद संचालित भट्ठा अवैध श्रेणी में कहे जा रहे हैं। चूंकि उनके प्रदूषण जैसे महत्वपूर्ण कागज पक्का नही है। फिर भी भट्ठे का काम तेजी से शुरू कर सरकार व प्रशासनिक अधिकारियों की नाक के नीचे अवैध व्यापार को बढ़ावा देते नजर आने लगे हैं। ये बात इसलिए कही जा रही है। तहसील मुख्यालय से चंद कदमों की दूरी पर ईदगाह के समीप जमील ईंट भट्ठा मालिक इट पाथने का काम शुरू है जो पूरी तरीके से अवैध बताया जा रहा है जिससे लोगों के मन मे सवाल खड़े होने शुरू हो गये।
आखिर ऐसे भट्ठों का संचालन कैसे शुरू होने लगा और क्यों होने लगा जबकि इससे पहले ऐसे भट्ठों पर शिकंजा कस जा चुका था, फिर भी अपनी मनमानी कर संचालन करने की फिराक में है। अब सवाल उठ रहा है अधिकारियों पर कि यह क्या हो रहा है? कई बार प्रसासन की तरफ से भट्ठा मालिकों पर कार्यवाही भी की जा चुकी है। सख्त हिदायत के लहजे में कई बार हिदायत भी दी जा चुकी है परंतु भट्ठा मालिक सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि आखिर प्रशासनिक अमला किस तरीके आये, इनसे पेश आएगा और क्या कार्यवाही सुनिश्चित करेगा।
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