धूमधाम से मनाया गया ज्ञान युग दिवस
गोविन्द वर्मा
बाराबंकी। महर्षि विद्या मंदिर में विद्यालय परिवार द्वारा ज्ञान युग दिवस को धूमधाम से मनाया गया। गुरु परंपरा पूजन ओमकार नाथ पांडेय द्वारा किया गया तथा परम पूज्य महर्षि महेश योगी जी व विवेकानंद जी के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। प्रधानाचार्य प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि स्वामी विवेकानंद ने विश्व के पटल पर भारतीय ज्ञान की परंपरा को पहुंचाया। उसी कड़ी में महर्षि महेश योगी ने पूरे विश्व में भारतीय परंपरा ज्ञान को और आगे बढ़ाया जिसकी विशेष परंपरा भावातीत ध्यान द्वारा जागृत की जाती है। महर्षि जी का कहना था कि ज्ञानम चेतनायाम निहितम अर्थात पूरे विश्व का ज्ञान चेतना में निहित है।
चेतना को जागृत कर लिया जाए तो समस्त ज्ञान प्राप्त हो जाएगा और चेतना को जागृत करने का सबसे सरल और सुगम उपाय भावातीत ध्यान है। महर्षि जी ने पूरे विश्व में प्रचार प्रसार किया लेकिन कभी स्वयं की पूजा नहीं करवाई। सदैव अपने गुरु की पूजा की और करवाई यही प्रक्रिया स्वामी विवेकानंद ने भी अपनाई। वह कहते थे सारा श्रेय गुरुदेव ब्रह्मानंद सरस्वती जी का है जिन्होंने यह ज्ञान प्राप्त करवाया है। गुरु ही मुख्य हैं वैसे भी भारत गुरु परंपरा का देश है और गुरु की महिमा बड़ी अपरंपार है। महर्षि का जन्म वर्तमान में छत्तीसगढ़ में स्थित पांडुका नामक ग्राम में हुआ था।
महर्षि व स्वामी विवेकानंद के बारे में विद्यालय की अध्यापिका अलका श्रीवास्तव द्वारा भी बताया गया। कार्यक्रम संचालन में अलका श्रीवास्तव व रूपाली शर्मा का विशेष योगदान रहा। महर्षि का ज्ञान चेतना का ज्ञान है जिसका मुख्य मार्ग ध्यान है। सभी सहकर्मियों द्वारा योग ध्यान किया गया। ध्यान सिद्धि के साथ योगिक उड़ान का अभ्यास करने वाला व्यक्ति स्वयं के साथ आसपास के वातावरण व लोगों को भी प्रकृति के अनुकूल बनाने की क्षमता रखता है।
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