पूर्व बेसिक शिक्षा परिषद सचिव संजय सिन्हा के निलंबन पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

पूर्व बेसिक शिक्षा परिषद सचिव संजय सिन्हा के निलंबन पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

प्रयागराज(पीएमए)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा परिषद के पूर्व सचिव संजय सिन्हा के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है तथा राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने इसी मामले में अपना अलग एडवोकेट नियुक्त करने पर महानिदेशक बेसिक शिक्षा को तलब कर लिया है। कोर्ट ने उनको व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट करने के लिए कहा है कि जब उनके कार्यालय का पक्ष रखने के लिए मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने नोटिस प्राप्त किया है तो किन परिस्थितियों में उन्होंने अलग एडवोकेट पैनल नियुक्त किया।
संजय सिन्हा की याचिका पर न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने सुनवाई की। याची के अधिवक्ता का कहना था कि उनको अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा के 5 मार्च 2021 के आदेश से निलंबित कर दिया गया है। याची के खिलाफ दो अज्ञात लोगों ने शिकायत दर्ज की थी, जिसके साथ कोई शपथ पत्र दाखिल नहीं किया गया है। जबकि 19 अगस्त 2012 के शासनादेश के अनुसार किसी भी शिकायत के साथ शपथ पत्र दाखिल किया जाना आवश्यक है।

सीएम ने किया बाल सेवा योजना का शुभारंभ, 176 बच्चों को मिली आर्थिक सहायता

याची के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप लगाए गए हैं। जिनके आधार पर अधिकारियों ने उनको निलंबित कर दिया है। जबकि याची सितंबर 2018 तक सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के पद पर रहा है। इसके बाद से उसने कभी भी इस पद पर काम नहीं किया है। उसके खिलाफ जो भी आरोप लगाए गए हैं, वह सचिव पद पर कार्यकाल के दौरान के हैं। सचिव पद से हटने के तीन साल बाद निलंबन की कार्रवाई की गई है। याची 31 अगस्त 2021 को सेवानिवृत्त होने जा रहा है। निलंबन आदेश मनमाना है और इसे पारित करने में विवेक का प्रयोग नही किया गया।
दूसरी ओर प्रदेश सरकार का पक्ष रहे रख रहे अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था याची पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं तथा इसमें उनको बड़ा दंड मिल सकता है। कोर्ट ने याची की सेवानिवृत्ति व अन्य तथ्यों को देखते हुए निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है तथा राज्य सरकार को 2 सप्ताह में इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

बीजेपी विधायक और शराब कारोबारी के फार्म हाउस पर आयकर विभाग के छापे

अलग वकील नियुक्त करने से नाराज़
सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से पक्ष रखने के लिए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल उपस्थित हुए थे जबकि महानिदेशक बेसिक शिक्षा का पक्ष रखने के लिए एक प्राइवेट सीनियर एडवोकेट को अधिकृत किया गया था। इस पर कोर्ट ने जानना चाहा कि जब महानिदेशक का कार्यालय राज्य शासन के अंतर्गत आता है और सरकार का पक्ष रखने के लिए मुख्य स्थायी अधिवक्ता कार्यालय ने नोटिस प्राप्त कर लिया है तो फिर महानिदेशक को अपना पक्ष रखने के लिए अलग एडवोकेट पैनल बनाने की क्या आवश्यकता पड़ी। इस पर स्पष्टीकरण के लिए कोर्ट ने महानिदेशक को अगली सुनवाई पर उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है।

हमारे न्यूज पोर्टल पर सस्ते दर पर कराएं विज्ञापन।
सम्पर्क करें: मो. 7007529997, 9918557796



 

600 बीमारी का एक ही दवा RENATUS NOVA, जानिए इसके फायदे, खुराक और किमत

 

 

 

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Read More

Recent