रूक्मणी विवाह की कथा सुनकर भाव विभोर हुए श्रोता

रूक्मणी विवाह की कथा सुनकर भाव विभोर हुए श्रोता

शिवमंगल अग्रहरि
चित्रकूट। मुख्यालय के कसहाई रोड में चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के छठवें दिन बुधवार को कथावाचक ने श्रोताओं को भगवान की रसमयी कथा सुनाई। भागवताचार्य शुभम कृष्ण महाराज ने भगवान की रासलीला, कंस वध के पश्चात रुक्मणी विवाह की कथा सुनाई। रुकमणी विवाह के दौरान सैकड़ों श्रद्धालु कथा सुन मंत्रमुग्ध हो गए। भागवताचार्य ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सुनने से शांति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर अनुकरण, निरंतर हरि स्मरण, भागवत कथा श्रवण करने की आवश्यकता है।

विकार नष्ट होते हैं। लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है। बताया कि इंद्रियों को भगवान के चरणों में लगाएं। हृदय में भगवान की छवि को बसाए। भागवत कथा सुनने के बाद उसे जीवन में उतारना भी आवश्यक है। भजन के साथ सैकड़ों श्रोता आनंद से झूमते रहे। इस मौके पर यजमान प्रहलाद सिंह व विद्या देवी सहित व्यवस्थापक पुष्पराज सिंह व भूपेंद्र सिंह आदि सैकड़ो श्रोतागण मौजूद रहे।

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