अक्षुण स्वतंत्रता रहे सदा
अक्षुण स्वतंत्रता रहे सदा
अक्षुण स्वतंत्रता रहे सदा
भारत की अमर कहानी
हम करते नमन हृदय से है
निज मातृभूमि बलिदानी।
भारत के अमर शहीदों का
कण कण करता गुणगान जहां
गांधी नेहरु मंगल पटेल
आजाद भगत का धाम यहां।
भारत माँ के सच्चे सपूत
नेता सुभाष अशफाक खान
जिसने प्राणों की आहुति दी
जय भारत माँ का किया गान।
उत्तर दिशि में हिमगिरि किरीट
सम अनुपम उज्ज्वल भाल कहां
पन्द्रह अगस्त सन सैतालिस की
स्मृति है अभिराम यहां।
यशधारा सी नर्मदा सिन्धु
गंगा सतलुज गंधारी
क्षिप्रा गोदावरि ब्रह्मपुत्र
सतलुज यमुना कावेरी।
हैं सूर्य चन्द्र साक्षी तारे
भारत की महिमा अविरल
है गीता का उपदेश यहां
शुचि सरिस पूत गंगाजल।
गुरूग्रन्थ बाइबिल कल्पसूत्र
उपनिषद भागवत वेद ज्ञान
जहं कल्पसूत्र सम विनयपिटक
गीता रामायण श्रुति कुरान।
सब धर्मों का है मूल यही
कण कण में प्रभु का वास यहां
भारत वीरों की धरती है
सब धर्मों का सम्मान जहां।
संकल्प हमारे जीवन का
अन्तः से दूर घमंड रहे
मन सबका पावन निर्मल हो
यह विलसित राष्ट्र अखण्ड रहे।
रचनाकार
डा. प्रदीप कुमार दूबे
(साहित्य शिरोमणि)
शिक्षक/पत्रकार