गोरखपुर (पीएमए)। रेप, छेड़खानी और पॉक्सो केस की पीड़िताओं के घर जाकर अब महिला सिपाही उनका हालचाल जानेंगी। मुकदमे की स्थिति को समझने की कोशिश के साथ उनसे बातचीत करेंगी। अगर पीड़िता मुकदमा दर्ज कराने के बाद किसी तरह की परेशानी या उत्पीड़न झेल रही है तो अफसरों को जानकारी देकर उसका समाधान कराएंगी। एडीजी अखिल कुमार ने जोन के सभी 11 जिलों के अफसरों को इस बाबत निर्देश दिए हैं। ‘एक पीड़िता एक महिला सिपाही’ के फार्मूले पर यह अभियान चलाया जाएगा।
अब तक यह देखा गया है कि महिला अपराध के केस में शुरुआत में जितनी तेजी आती है, उतनी सक्रियता बाद में नहीं दिखती। पुलिस शुरुआती कार्रवाई कर यह मान लेती है कि उसने महिला को न्याय दिला दिया। कई बार शिकायत के बाद जब तक पुलिस सख्ती रुख अपनाती है तब तक तो आरोपित शांत रहते हैं, बाद में वे केस में सुलह-समझौते के लिए धमकी देने से लेकर हर तरह के हथकंडे अपनाते हैं। शिकायत करने पर पीड़ितों को प्राय: अन्य तमाम तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। कई बार परेशानियों से निजात पाने के लिए समझौते का भी रास्ता अपनाती है इसका फायदा अपराधियों को होता है। सही सजा न मिलने से अपराधी का मन बढ़ जाता है तो पीड़िता की दशा देखकर अन्य लोग भी निराश हो जाते हैं। इन्हीं सब वजहों को देखते हुए एडीजी अखिल कुमार ने गोरखपुर जोन के 11 जिलों के पुलिस कप्तानों को पत्र लिखकर महिला अपराध के पीड़िता का हालचाल लेने के लिए महिला सिपाहियों को भेजने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इसके लिए एक पीड़िता एक महिला सिपाही का फार्मूला सुझाया है।
आरोपितों से है परेशानी तो करें कार्रवाई
एडीजी ने कहा है कि ऐसी महिलाओं की पीड़ा डिटेल में नोट की जाए और अगर किसी पीड़िता को उनके मुकदमे में शामिल आरोपित परेशान कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई कर पीड़िता के अंदर भरोसा पैदा किया जाए कि पुलिस साथ खड़ी है। फिलहाल एक साल में दर्ज महिला अपराधों के मामले में पीड़िता के यहां महिला सिपाही जाएंगी। फिर धीरे-धीरे पिछले दो से तीन साल तक के केस में भी पीड़िताओं का हालचाल लेंगी।
इस तरह से हासिल करेंगे भरोसा
पुलिस कप्तानों को कहा गया है कि वे महिला अपराध की पीड़िताओं का थानेवार डाटा निकालकर उनकी सूची बनाएं और एक पीड़िता के यहां एक महिला सिपाही भेजकर दोस्ताना लहजे में पूरी जानकारी जुटाएं। महिला सिपाही को भी इसीलिए लगाया गया है कि पीड़िताएं नि:संकोच अपनी बात कह सकें।