भारत रत्न-स्वर कोकिला
लता ताई तुम भारत की नाज हो,
तुम गीत-संगीत की आवाज हो।
स्वर कोकिला, भारत रत्न से अलंकृत,
हम चाहने वालों का अल्फाज हो।
तुम्हारे बिना लग रही दुनिया अधूरी,
तुम ही वो लय-सुर की ताल हो।
चाँदनी छिटक गई मानों गजल की,
तुम्हीं गायिकी की वो अंदाज हो।
सप्तस्वरों की तुम बहती दरिया थी,
जैसे तारों के दरम्यान महताब हो।
थी मिशाल सादगी, सरलता की भी,
आवाज की दुनिया की तू ताज हो।
कभी नहीं भूलेगी ये दुनिया तुम्हें,
खुदा की जैसे तुम कोई किताब हो।
जीने का तूने जो सलीका सिखाया,
गीत के गगन का आफताब हो।
त्याग-तपस्या की तू साक्षात् देवी,
अपने आपमें तू एक इंकलाब हो।
नग्में सदा गुल के खिलते रहेंगे,
खोने के बाद भी तुम आज हो।
रामकेश एम. यादव
कवि/साहित्यकार, मुम्बई