खाली हाथ चला जायेगा
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कोई है हाकिम
कोई है मुलाजिम
कोई है नेता अभिनेता
है सब पहले मानव
पर है सबके सब अभिनेता स
है धरा यह रंगमंच
जीवन है एक अभिनय
मिला जिसे जो चरित्र यहाँ
करना है उसका उसको अभिनय स
कोई नहीं है श्रेष्ठ वहाँ
सब के सब हो अभिनेता जहाँ
सब मे बहती लाल रूधीर
जीवन का अभिनय कर
जीवन से होकर अधीर
सब छोड़ चले जाना है स
जो सोचते हैं
हम ही है सब कुछ
बिन मेरे नहीं होगा कुछ
पर! सच है
हमसे पहले कितने आये इस धरा पर
आये और चले गये
जो हो रहा था होता ही रहा
न कुछ रुका न रुका है
न मुझसे पहले न मुझसे बाद
जो जैसे था चलता ही रहा स
सबको हो जाना है एक दिन
फ्यूज बल्ब के जैसा
जिलाधिकारी हो या हो चपरासी
इस रंगमंच पर अंत समय में
होना है एक जैसा स
घमंड किस का करता है तू
क्या है तू
किस पर इतराता है तू
तू नहीं है अमर
तू भी है नश्वर
तु भी एक दिन जल जाएगा
पंच तत्व मे मिल जाएगा
महल अटारी नौकर गाड़ी
सब यही छोड़ जाएगा
जो चरित्र निभाने थे तुझे इस धरा पर
उसे निभाकर तू
मोह माया सब छोड़ यहां पर
जैसे खाली हाथ आया था पंकज
खाली हाथ तू चला जाएगा
रचनाकार- पंकज पाण्डेय
निरीक्षक क्राइम ब्रांच, आजमगढ़।