गिनती की सांसें (निर्गुण)

गिनती की सांसें (निर्गुण)

फूटल कौड़ी साथ में केहू न लेके जाई,
लूटा मत दुनिया के सुना मेरे भाई।

पाप और पुण्य कै ई बाटे दुई डगरिया,
दुई दिन कै जिनगी बा, छूटी ई बजरिया।
सोनवाँ जस देहियाँ के दीहैं लोग जलाई,
लूटा मत दुनिया के सुना मेरे भाई।
फूटल कौड़ी साथ में केहू न लेके जाई,
लूटा मत दुनिया के सुना मेरे भाई।

मोह के तू खोह में न सूता ऊ मचनवाँ,
गरदा जमें न पावे, मन के गगनवाँ।
मिली प्रभु जी कै दर्शन जब करबा सफाई,
लूटा मत दुनिया के सुना मेरे भाई।
फूटल कौड़ी साथ में केहू न लेके जाई,
लूटा मत दुनिया के सुना मेरे भाई।

खोजा अपने नइया कै अब तू खेवइया,
बहुत खाई चुकला तू अब तक मलईया।
छूटी घर-द्वार और छूटी ऊ लुगाई,
लूटा मत दुनिया के सुना मेरे भाई।
फूटल कौड़ी साथ में केहू न लेके जाई,
लूटा मत दुनिया के सुना मेरे भाई।

गिनती की साँसें तू बेकार न गँवावा,
छल औ कपट से न तनिको सजावा।
पिंजड़ा से सुगवा अकेले उड़ी जाई,
लूटा मत दुनिया के सुना मेरे भाई।
फूटल कौड़ी साथ में केहू न लेके जाई,
लूटा मत दुनिया के सुना मेरे भाई।

रामकेश एम. यादव मुम्बई
(कवि व लेखक)

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