जिनकी दो दशक पहले हो चुकी थी तेरही, आज वही महर्षि दुर्वासा के पवित्र स्थल पर करा रहे हैं यज्ञ

जिनकी दो दशक पहले हो चुकी थी तेरही, आज वही महर्षि दुर्वासा के पवित्र स्थल पर करा रहे हैं यज्ञ

भण्डारे के दिन साढ़े 3 दशकों से मौन व्रत को तोड़ेंगे, एक जनवरी से केवल पानी ही ग्रहण कर रहे
देवी प्रसाद शर्मा
आजमगढ़। महर्षि दुर्वासा धाम से मौन धारण करने वाले महाराज जी 1008 महन्थ मौनी रामलाल दास जी महराज के सबसे महत्वपूर्ण शिष्यों में से एक अलग पहचान बना चुके महंन्थ मौनी सुधाकर जी महाराज के ऊपर महामंडलेश्वर मौनी राम लाल दास जी महाराज की कृपा हमेशा बरसती थी और इनका कभी भी रुपए पैसे से कोई लगाव नहीं रहा।

इनका वास्तविक घर अरांव गुलजार (कप्तान गंज) में पड़ता है जहां इनके बच्चे, परिवार के साथ भरा—पूरा परिवार छोड़कर 1985 से मौन व्रत धारण करने के साथ ही अन्न आदि को भी त्याग दिये थे तभी से आज तक यह फलाहार पर चल रहे हैं। इसी बीच बिना बताए घर, परिवार के लोगों को छोड़कर कहां चले गए। यह किसी को पता नहीं चला, फिर भी कई तरह से उनके बारे में जानकारी की गई।

अन्त में यह मान लिया गया कि अब यह दुनिया में भी नहीं है और लोगों की बातों को सच मानकर महंथ 1008 मौनी राम लाल दास जी महाराज भी इनका प्रतीक के रूप में क्रिया कर्म भी करवा दिये थे लेकिन इन्होंने तो कुछ और ही ठान लिया था जिसको पूरा करने के लिए दिन रात एक कर दिए थे। घर, परिवार, नात, रिश्तेदार, मित्र, मंडली किसी को पता नहीं था कि आखिर यह करने वाले क्या है बताते चलें कि शुरुआती दौर में भी ही यह संत प्रवृति के दिखाई देने लगे थे लेकिन गांव, घर, परिवार के दबाव में वैवाहिक जीवन की डोर तो थाम लिए लेकिन वह स्थाई रूप से घर परिवार चलाने में अपने को असमर्थ महसूस कर रहे थे।

इसी बीच यह मौनी बाबा ने वह कर दिखा दिया था कि अब मुझे गृहस्थ जीवन किसी भी तरह से पसंद नहीं है और फिर एक दिन घर, परिवार, गांव, क्षेत्र सब को छोड़कर अपनी धार्मिक यात्रा पर चल दिए। अब जो जानकारी मिल रही है, उससे पता चला है कि मौनी जी महाराज इसी क्षेत्र से मौन धारण की शुरुआत किए थे। यहां से जाने के बाद तीन साल हरिद्वार, दो साल चित्रकूट, 3 साल दतिया वाला मुखी और अब इस समय वाराणसी में स्थाई रूप से बीसों साल से रहते हैं और वहां पर बड़े पैमाने पर जगह, जमीन बनाकर साधु संतों के बीच बड़ जमावड़ा लगा रहता है। अब इस समय अपने क्षेत्र के महर्षि दुर्वासा धाम के पवित्र स्थल पर आकर लोगों को यह बताने का पूरा प्रयास कर रहे हैं कि यहां पर 15 तारीख से महर्षि दुर्वासा धाम पर यज्ञ का कार्यक्रम चल रहा है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को हम निश्चित रूप से समापन के दिन यानी भंडारे के दिन मौन व्रत तोड़ेंगे और उस दिन से फिर हम जो व्यवस्था होगी। हरि की इच्छा होगी। उसके हिसाब से फिर हम खान—पान करेंगे।

मौनी जी महाराज ने बताया कि श्री रूद्र महायज्ञ एवं संगीतमय रामकथा 15 जनवरी से प्रारंभ हो गयी है जो 21 जनवरी तक लगातार चलती रहेगी। इस कार्यक्रम में बाबा के सहयोगियों ने बताया कि 15 जनवरी से सुबह रुद्राभिषेक एवं हवन प्रतिदिन 9 से 12 बजे तक होगा। उसके बाद रामकथा शाम 3 बजे से शाम 6 बजे तक चलती रहेगी। पूर्णाहुति एवं भंडारा 21 जनवरी शनिवार को संपन्न हो जाएगा। कथा वाचक के रूप में पूनम सिंह साध्वी मानस कोकिला अयोध्या से आयी हैं। इसी बीच क्षेत्रीय लोगों का वहा पर भारी संख्या आने जाने वालों का सिलसिला चल रहा है। यज्ञ में लगातार समय देने वालों में बेचू सिंह, रामधनी पांडेय, प्रेमचंद गिरी, बबलू दूबे, सुनील गौड़, इंद्रसेन सिंह, श्रीराम गौड़, तुलसीगढ़ राम कवल तिवारी, ओम प्रकाश यादव प्रधान आदि प्रमुख हैं।

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