पटाखों की वसूली करके क्या मनायी गयी गरीब बच्चों के साथ दीपावली…?
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। इन दिनों सोशल मीडिया में एक सिपाही की फोटो वायरल हो रही है जिसमें वह एक बड़ी बोरी लेकर पटाका लगाकर बैठे दुकानदारों से बोरी में पटाखे लेकर भर रहा है। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस पर पटाखा वसूली का आरोप लगा है। वीडियो खीरों थाना क्षेत्र का बताया जा रहा है जहां पर तैनात सिपाही दीपक कुमार एक बोरी लेकर पटाखों की दुकानों से पटाखे लेकर बोरी में डालते हुए देखे जा रहे हैं। इस वीडियो की सफाई देते हुए पुलिस का एक ट्वीट आया जिसमें उन्होंने सिपाही को गरीब बच्चों के साथ दीपावाली मनाने के लिए पटाखों का रेट लेता हुआ बताया गया है।
पुलिस का यह ट्वीट हजम इसलिए नहीं होता है, क्योंकि यह बात कोई नहीं मानेगा की अपने पैसे से पुलिस पटाखे खरीदकर गरीब बच्चों के बीच में बांटेगी। सूत्रों की माने तो सत्ताधारी दल के कुछ बड़े पदाधिकारियों के कहने पर पुलिस ने गरीब बच्चों के साथ दीपावाली मनाने का कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में पटाखों का खर्च लंबा था इसलिए सिपाहियों को इसकी जिम्मेदारी दी गई। खीरों का वायरल हो रहा वीडियो उसी आदेश का पालन है।
अब यह प्रश्न उठने लगा है कि क्या गरीब बच्चों के साथ पुलिस ने जो पटाखे फोड़े, वे किसी के घर के गरीब बच्चों की दीपावाली मनाने के लिए उसके पिता के द्वारा लगाई गई दुकानों से वसूले गए थे। मतलब साफ है कि एक घर में दिया जलाने के लिए पुलिस ने दूसरे घर से तेल लिया है और मीडिया में वाहवाही लूटी है।
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