मशहूर शायरा की दो काव्य संग्रह का हुआ लोकार्पण

मशहूर शायरा की दो काव्य संग्रह का हुआ लोकार्पण

अजय जायसवाल
गोरखपुर। मशहूर शायरा नुसरत अतीक़ ‘गोरखपुरी’ की हिन्दी एवं उर्दू की दो काव्य संग्रह, सुलगते एहसास और एहसास का दर्पण का लोकार्पण रविवार को यास्मिन शरीफ वेलफेयर सोसायटी के बैनर तले विजय चौक स्थित एक होटल में पद्मश्री आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के अध्यक्ष चौधरी कैफुलवरा, डा. अब्दुल्लाह एच. खान, अंतरराष्ट्रीय मंच संचालक एवं शायर डा. कलीम क़ैसर, प्रो. विशिष्ठ अनूप, डा. क़ासिम खुर्शीद, वरिष्ठ शायर फारूक जायसी आदि साहित्यकारों द्वारा हुआ।

इस मौके पर पद्मश्री आचार्य विश्वनाथ तिवारी ने कहा कि मैंने नुसरत जी के संग्रह को कहीं—कहीं से पढ़ा है। उसमें अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिली है। ख़ुशी होती है जब कोई अपने परिवेश की बुराइयों से जूझकर बाहर निकलता है। नुसरत ऐसी ही रचनाकार है, मेरा साधुवाद है। उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के चेयरमैन चौधरी कैफुलवरा ने कहा कि अकादमी का यह काम ही है कि नए लोगों को स्थापित किया जाय जिनमें लिखने की क्षमता है। नुसरत अतीक उनमें से एक है। मुझे खुशी इस बात की है कि मेरे शहर गोरखपुर में हिंदी और उर्दू के सैकड़ों ऐसे रचनाकार हैं जिनका संग्रह लोगों तक पहुंचना चाहिए। मेरी दुआएं और आशीर्वाद नुसरत अतीक के लिए हैं।

डॉ क़ासिम खुर्शीद ने कहा कि नुसरत अतीक़ की रचनाओं को में कई बार पढ़ा और इस नतीजे पर पहुंचा की इंसान अपनी मेहनत से अपनी सोच का स्तर बुलंद कर सकता है। पूर्वांचल की यह संवेदनशील कवियत्री आज शेरी जगत के लिए एक मिसाल बानी हुई है। उस्ताद शायर फारूक जायसी ने कहा कि इतनी तेज शेर कहने वाली शायर मेरे ख्याल इधर 15 सालों में ने नहीं देखा। यह नुसरत की बहुत बड़ी खूबी है जो आज बिल्कुल नहीं दिखाई देती है। मुझे नुसरत की रचनाओं ने बहुत प्रभावित किया।

प्रो. वशिष्ठ अनूप ने कहा कि ग़ज़ल का जादू सर चढ़कर बोलता है। नुसरत अतीक़ की रचनाओं ने काव्य रचना के लिए एक काग धारा बनाई है जिसमें सभ्यता और संस्कार दोनों हैं। शायद महिला रचनाकारों में नुसरत की ग़ज़लों की सात्विकता है। वह दूर से पहचानी जाती है।

अन्तर्राष्ट्रीय शायर डॉ कलीम क़ैसर ने कहा कि शायरी दुनिया की मादरी ज़बान है और जब एक औरत जिसमें भावनाओं के सारे रूप हैं वो रचना करती है तो इंसाफ ज़रूर करती है नुसरत की शायरी कहीं भी पढ़ी जा सकती है, क्योंकि उसमें ऐसा कुछ है ही नहीं जो तहज़ीब के दायरे से अलग हो। शायर नुसरत अतीक़ ने अपनी रचनाओं के बारे में कहा कि मैं ने हर तजुर्बे को शायरी बनाने की कोशिश की है। अब इसमें शायरी है कि नहीं ये फैसला पाठक को करना है। बस इतना जानती हूं कि मैंने जीवन के रंग ओ रूप को शब्द दिए हैं।

यही मेरी शायरी है। कार्यक्रम का संचालन शायर कलीम कैसर एवं मुशायरे का संचालन उस्मान उतरौलवी ने किया। डा. अशफाक उमर, डा. अमरनाथ जायसवाल एवं अरशद राही ने आये लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में पूर्व महापौर डा. सत्या पांडेय, डा. अज़ीज़ अहमद, मनोज गौतम, राकेश श्रीवास्तव, डा. हर्षवर्धन राय, कामिल खां, प्रवीण श्रीवास्तव, डा. ताहिर, इब्राहिम साहब, विजय श्रीवास्तव, नवीन श्रीवास्तव, अनिता अग्रवाल, मंजीत सिंह, राजीव दत्त पाण्डेय समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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