यूपी में त्रिकोणीय मुकाबला, इंडी गठबंधन को पहुंचा सकता है बड़ा नुकसान

यूपी में त्रिकोणीय मुकाबला, इंडी गठबंधन को पहुंचा सकता है बड़ा नुकसान

आखिर वह घड़ी आ ही गई जिसका सबको इंतजार था। कल यानी 16 मार्च को चुनाव आयोगा की प्रेस कांफ्रेस होगी जिसमें चुनाव की तारीखों को एलान हो जायेगा। साथ ही देश भर में आचार संहिता भी लागू हो जायेगी। उधर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तमाम राजनीतिक दल अपनी तैयारी को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इस समय देश में प्रमुख रूप से दो गठबंधन नजर आ रहे हैं। एक तरफ एनडीए तो दूसरी तरफ इंडी गठबंधन है। वहीं कई क्षेत्रीय दल अपने राज्यों में चुनाव के लिये ताकत दिखा रहे हैं। राजनीतिक मैदान में जीत समीकरण स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। अखिलेश यादव पीडीए यानी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक पॉलिटिक्स को स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं बसपा प्रमुख मायावती दलित, अल्पसंख्यक, पिछड़ा समीकरण को साधने का प्रयास कर रही हैं। इसी प्रकार कांग्रेस की कोशिश पिछड़ा अल्पसंख्यक वोट बैंक को अपने पाले में लाने की है। वहीं भारतीय जनता पार्टी के स्तर पर अपने कोर वोट बैंक को साधने के साथ हिंदुत्व की राजनीति और विकास को जमीनी स्तर पर सेट किया गया है। वोटरों को अपने पहले में लाने की कोशिश हर दल कर रहा है लेकिन दो ओपिनियन-एग्जिट पोल के रिजल्ट कुछ अलग ही तस्वीर दिखा रहे हैं। इसमें भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए बड़ी बढ़त बनाती दिख रही है।
यूपी में मोदी-योगी मैजिक के आगे सब फेल हो रहे हैं। विपक्ष को बड़ा झटका लगता दिख रहा है। भारतीय जनता पार्टी अपने दम पर 50 फीसदी से अधिक वोट पाते दिख रही है। यह स्थिति तब है, जब देश में नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल का दस साल पूरा कर रहे हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार सात वर्ष पूरे कर चुकी है। डबल इंजन की सरकार को लेकर यूपी में अभी तक एंटी इनकंबैंसी नहीं दिख रहा है। दरअसल लोकसभा चुनाव को लेकर दो ओपिनियन-एग्जिट पोल सामने आए। इसमें भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए उत्तर प्रदेश के चुनावी मैदान में बड़ी बढ़त बनती दिख रही है। एबीपी न्यूज चैनल की ओर से कराए गए ओपिनियन पोल में भाजपा 74 सीटों पर जीत दर्ज करती दिख रही है। वहीं न्यूज-18 के सर्वे में भाजपा को 77 सीटों पर जीत मिलती दिखायी गयी है। इन प्री-पोल सर्वे में विपक्ष का सफाया होता दिख रहा है।
लोकसभा चुनाव को लेकर यह स्थिति क्यों बनी? इसके पीछे की वजह डबल इंजन सरकार की योजनाएं हैं। यूपी चुनाव 2022 के दौरान कोरोना काल में शुरू की गई फ्री राशन योजना का बड़ा असर दिखा। मायावती के परंपरागत दलित वोट बैंक में इससे सेंधमारी करने में सफलता मिली। यूपी में करीब साढ़े तीन दशक के बाद कोई सरकार अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद दूसरी बार सत्ता में आने में सफल रही। योगी आदित्यनाथ एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। उनका बुलडोजर मॉडल काफी कारगर रहा है। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी की योजनाओं को भी जमीन पर उतारने में कामयाबी मिली है। नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से किसान सम्मान निधि से लेकर उज्ज्वला योजना तक का लाभ लोगों को मिल रहा है। इसके अलावा आयुष्मान योजना से लेकर हर घर को नल का जल योजना तक को तेज गति से पूरा कराने में सफलता मिली है। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट जैसी योजनाएं जिलों को नेशनल और इंटरनेशनल लेवल तक ले जाने में कामयाब हुई है। एक्सप्रेस वे का निर्माण भी हो रहा है। यह सभी भाजपा के पक्ष में माहौल बना रहा है।
उधर पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर योगी आदित्यनाथ तक हिन्दुत्व को ‘जगाने’ में कामयाब रहे हैं। पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया। इसी कार्यकाल में राम मंदिर भी बनकर तैयार हुआ। पीएम मोदी राम मंदिर के शिलान्यास से लेकर प्राण प्रतिष्ठा तक के कार्यक्रम में दिखे। अपने हिंदुत्व छवि को इन कार्यक्रम में बखूबी उभारा। वे एक बड़े वर्ग से खुद को कनेक्ट करने में सफल रहे। वहीं सीएम योगी ने अयोध्या के दीपोत्सव को देश-विदेश में प्रसिद्ध कर दिया है। मोदी सरकार के कार्यकाल में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनकर तैयार हुआ। अब मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि कॉरिडोर निर्माण पर काम चल रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर धर्म को लेकर अलग रुख रख रहे हैं। हालांकि पिछले दिनों उन्होंने संकेतों में भगवान शिव और श्रीकृष्ण के धाम के विकास की बात कही। वहीं इस मामले में सीएम योगी विधानसभा में ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाने का बैरिकेट टूटने की बात कर चुके हैं। इस प्रकार विकास से लेकर धर्म तक के मामले में दोनों नेताओं का कनेक्ट बड़े वर्ग से होता दिख रहा है। इसका असर भी ओपिनियन पोल रिजल्ट के जरिए सामने आ रहा है।
लोकसभा चुनाव 2024 में एक बार फिर भाजपा का वोट प्रतिशत की उम्मीद की जा रही है। वर्ष 2014 में भाजपा, नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ चुनावी मैदान में उतरी थी। इसके दस साल हो चुके हैं। वाराणसी से उतरे नरेंद्र मोदी का मैजिक पूरे देश-प्रदेश में चल रहा है। 2014 में 42 फीसदी वोट शेयर के साथ पार्टी यूपी की 71 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही। वहीं एनडीए को इस चुनाव में 73 सीटों पर जीत मिली। वहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा करीब 50 फीसदी और एनडीए 50.62 फीसदी वोट शेयर हासिल करने में कामयाब रही। 2019 के आम चुनाव में भाजपा को 62 और एनडीए को 64 सीटों पर जीत मिली। लब्बोलुआब यह है कि इंडी गठबंधन में बहुजन समाज पार्टी के शामिल नहीं होने से इंडी गठबंधन की स्थिति कमजोर नजर आ रही है। बसपा के एकला चलों के कारण यूपी में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। इससे एनडीए गठबंधन को बड़ा फायदा तो इंडी गठबंधन को नुकसान होता दिख रहा है।

संजय सक्सेना लखनऊ
मो.नं. 9454105568, 8299050585

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