विशाल रस्तोगी
सीतापुर। जिला महिला अस्पताल में गजब का तमाशा हो रहा है। जो दिखाई दे रहा है स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी आखिर उसको नजरअंदाज क्यो कर रहे है? जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डा. सुषमा कर्णवाल महिला अस्पताल में कब तैनात हुई उनकी तेैनाती का दिन समय और तारीख सभी कुछ महकमें में बाकायदा लिखा पढ़ी में है। स्वास्थ्य महकमे के हर अधिकारी को पता है कि जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डा. सुषमा कर्णवाल पिछले कितने सालों से एक ही स्थान पर एक ही पद पर तैनात है और वर्तमान समय में सीएमएस डा. सुषमा की तैनाती को वैध अथवा अवैध कहा जायेगा सब जानकारी स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों को है इसके बाद भी स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है।
अपने धन बल की बदौलत पिछले चौदह सालों से सीएमएस डा. सुषमा जिला महिला अस्पताल में मुख्य चिकित्साधीक्षका के पर तैनात है इस दौरान कई बार सीएमएस डा. सुषमा का तबादला हुआ है लेकिन डा. सुषमा ने अपने धन बल का प्रयोग करते हुए राजधानी स्तर से अपना तबादला रुकवा लिया ऐसी चर्चाएं की जा रही है। जब से डा. सुषमा में डफरिन की कमान संभाली है तब से डफरिन अपनी पहचान खोती जा रही है। वर्तमान समय में डरिन केवल लूट, खसोट, रिश्वतखोरी और कमीशनखोरी का अडडा बन गया है। डफरिन में जब कोई प्रसूता अपना प्रसव करवाने के लिये भर्ती होती है या गर्भवती महिला इस अस्पताल में अपना उपचार करवाने जाती है तो जिला महिला अस्पताल का जर्रा जर्रा उसकी और उसके परिवार वालों की जेबो को भूखे भेड़िये की तरह देखता है।
खून की जांच से लेकर अल्ट्रा साउण्ड व अन्य मंहगी खून की जांचे बाहर से उस पैथालाॅही सेण्टर से करवाई जाती है जहंा उप उनकी सेटिंग है अगर मरीज अपने पहचानवाले पैथालाॅजी से जांच करवाती है तो सीएमएस व उनके साथी डाक्टर उन जांचों को नही मानते है। यहां तक कई बार सुनने को मिला है कि अगर कोई गर्भवती जांचे दूसरी पैथालाॅजी से करवाती है सेटिंग वाली पैथालाॅजी पर नही जाती है तो डाक्टर जांच तक फाड़कर फेंक देती है। इतने बड़े पैमाने पर जिला महिला अस्पताल में कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार चल रहा है।
जांच के बाद बारी आती है दवा की ।तो सीएमएस डा. सुषमा से लेकर उनके खास कहे जाने वाले डाक्टर जैदी, जुबेरिया, चित्रा, रीतू आदि डाक्टर कमीशनखोरी वाली दवाएं बाहर से लिखती है और पर्चा थमाते हुए गर्भवती से कहती है कि यह दवाएं अमुक मेडिकल स्टोर पर मिलेगी दवा लेकर हमको दिखाओं आकर। यानी की दवा भी कमीशन बाजी ओैर अपने तय तोड़ वाले मेडिकल स्टोर से मंगवाई जाती है। जो दवाएं महिला अस्पताल में डाक्टरों द्वारा लिखी जा रही है उनमें से पचास प्रतिशत तक कमीशन डाक्टरों को दिया जाता है इसके हलावा दवा कम्पनी होली दीपावली पर तोहफे के रूप में कुछ बड़ा आइटम भी इन डाक्टरों को देती है ऐसी चर्चाएं जिला महिला अस्पताल से उड़कर सामने आ रही है।
चर्चा महिला अस्पताल की सीएमएस डा. सुषमा और उनके द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार की किस्से मीडिया की सुर्खियों में छाये हुए है इस कारण जिला महिला अस्पताल की लगातार जांच हो रही हेै लेकिन धन बल की बदौलत हर पड़ताल को सीएमएस रूकवाने के प्रयास में रहती है और अब सीएमएस ने इन जांचों में आने वाला खर्चा भी प्रसूताओं से निकालने लगी हेै और पहले आपरेशन की कीमत सीएमएस ने 1500 निर्धारित की थी अब वही कीमत बत्तीस सौ रूपये कर दी गयी है। पता चला है कि सीएमएस नसबंदी के भी पैसे लेती है इस कारण जिला महिला अस्पताल में नसबंदी बरवाने की संख्या लगातार गिरती जा रही है। कापरटी के भी महिला अस्पताली में पैसे लिये जाते है जब जनसंख्या नियंत्रण की यह सभी मामले जिला महिला अस्पताल में निःशुल्क है।
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