साहब! सिक्कों की खनक है या भू-माफियाओं की हनक?
साहब! सिक्कों की खनक है या भू-माफियाओं की हनक?
भू-माफियाओं से अटूट गठबंधन, कुम्भकर्णी नींद से जागने को तैयार नहीं सलोन प्रशासन
अनुभव शुक्ला
सलोन, रायबरेली। जिले की सलोन एक ऐसी तहसील जहां पर कोई और नहीं, बल्कि साहब ही भू माफिया को संरक्षण दे तहसील क्षेत्र की चरागाह बंजर व खलिहान जैसी सुरक्षित जमीनों पर अवैध खेती व अवैध मकान का निर्माण करवाते हैं जिससे योगी सरकार का एंटी भूमाफिया अभियान सलोन तहसील के अधिकारियों के रुतबे के आगे बौना साबित हो रहा है।
शिकायत पर आसानी से भू-माफिया को अवैध कब्जा करवाने के बाद झूंठी आख्या लगा खुलेआम भू-माफियाओं की पैरवी करते भी नजर आते हैं। ऐसे में हर कोई सोचने पर विवश हैं कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाएगा तो आखिर रक्षा कौन करेगा…? यह एक अहम सवाल बना हुआ है ताजा मामला सलोन तहसील मुख्यालय से 4 किलोमीटर दूर सलोन जगतपुर मार्ग स्थित मटका ग्रामसभा का है जिसकी खबरों को आप लोगों ने तेजस टूडे हिंदी दैनिक अखबार में पढ़ा होगा। यह भू-माफियाओं के भेंट चढ़ चुकी। वहीं ग्राम सभा है जहां राजस्व अभिलेखों में 67 बीघा 8 बिस्वा चारागाह की सुरक्षित भूमि पर सामूहिक रूप से एक तरफ जहां लगभग 27 बीघा भूमि में भूमाफिया अवैध मकान का निर्माण कर लिए हैं तो वहीं दूसरी तरफ लगभग 40 बीघा चरागाह की ही सुरक्षित भूमि पर भू-माफिया सामूहिक रूप से प्रति वर्ष धान व गेहूं की अवैध फसल तैयार कर लाखों रुपए की कमाई कर लेते हैं।
वर्तमान में आपको चरागाह की ही सुरक्षित जमीन पर धान की अवैध फसल लहलहाती मिलेगी। यह कोई कहानी नहीं, बल्कि यह एक कड़वा सत्य हैं। क्षेत्रीय हल्का लेखपालों की खाऊं-कमाऊ नीति के चलते एक-एक कर चारागाह की ही सुरक्षित जमीन में कई अवैध मकानों का निर्माण हो गया है। सबसे अहम बात यह है कि जिन भूमाफियों के मकान चारागाह में बने हैं, उन सभी भूमाफियों के एक एक मकान गांव के अंदर भी मौजूद हैं। हद तो तब पार होती है जब तहसील प्रशासन के अधिकारियों व भू-माफियाओं के गठबंधन के कृत्यों की शिकायत लगातार उच्चाधिकारियों से इस बार ही नहीं, बल्कि कई वर्षों से लगातार होती चली आ रही है किंतु भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे सलोन तहसील प्रशासन के अधिकारी बिना कुछ कार्यवाही किए कार्यालय में बैठे-बैठे झूठी आख्या प्रेषित कर उच्चाधिकारियों को गुमराह कर भू-माफिया को सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से काबिज रहने का अवसर देते चले आ रहे हैं।
आखिर सलोन तहसील प्रशासन के अधिकारी भू-माफिया के मसीहा किस लिए बने बैठे हैं। यह सब से एक अहम सवाल बना हुआ है। सलोन एक ऐसी तहसील बन चुकी है जहां पर अब तक में भ्रष्टाचार को उजागर करने पर अधिकारियों का चेहरा जरूर बदल जाता है किंतु भ्रष्ट कार्यशैली का निजाम बदलने का नाम नहीं लेता हैं। आखिर कब तक सलोन तहसील भ्रष्टाचार की जंजीर में जकड़ी रहेगी…? और कब तक भूमाफिया तहसील क्षेत्र की सरकारी जमीनों पर अवैध निर्माण खेती करते रहेंगे? इन सभी प्रश्नों का उत्तर मिल पाना मील का पत्थर साबित हो रहा है।