खण्डहर घर में छप्पर के नीचे जीवन गुजार रही शिवपता, पीड़ित तक नहीं पहुंच सकी विकास विभाग की संवेदना

खण्डहर घर में छप्पर के नीचे जीवन गुजार रही शिवपता, पीड़ित तक नहीं पहुंच सकी विकास विभाग की संवेदना

अपात्रों को मिल रहा पीएम आवास, खण्डहर में रहने वाले वर्षों से पक्की छत की लगाये हैं आस
सलोन ब्लाक में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही पीएम आवास योजना, पात्र वंचित
बरसात में जागकर रात बिताती है बिसैय्या ग्रामसभा के गंगादीन गांव की विधवा
अनुभव शुक्ला
रायबरेली। तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है मगर यह दावे झूठे वह सिर्फ जुमलेबाजी है, यह कहावत जिले में एक बार फिर से इस तस्वीर को देखते हुए सही चरितार्थ हो रही है, क्योंकि कागजों पर जिले के जिम्मेदार भले ही ग्रामीण क्षेत्रों के ग्रामीणों को पात्र लाभार्थियों को प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण का लाभ मिल जाने का दावा कर रहे हों किंतु अगर बात जिले के सलोन ब्लाक की करें तो भ्रष्टाचार के शिकंजे में जकड़े सलोन ब्लाक क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में अपात्र पीएम आवास योजना ग्रामीण का लाभ लेकर मलाई काट रहे हैं तो वहीं बरसात के मौसम में छप्पर के नीचे व खंडहर मकानों में रहकर पात्र गरीब परिवार बरसात में जागकर रात काटने को मजबूर हैं।

अखबार में छपी इस तस्वीर को गौर से देखिए, यह तस्वीर सलोन ब्लाक क्षेत्र के बिसैय्या ग्रामसभा स्थित गंगादीन गांव की है। जहां की रहने वाली शिवपता के पति रामसहाय की कुछ वर्षों पूर्व असमय मौत हो गई थी । पति के न होने पर शिवपता विधवा हो गई और गम्भीर बीमारी से ग्रसित होने के चलते एम्स रायबरेली में उसका इलाज जारी है। एक नाबालिग पुत्र किसी तरह गांवों में छोटे मोटे कार्य कर जीवन यापन कर रहा है। सिस्टम से लाचार होकर झोपड़ी के किनारे मिट्टी की चार दीवारी बनाकर शिवपता गर्मी व सर्द का मौसम तो बिता लेती है किंतु बरसात के मौसम में शिवपता के सामने मानों दुःख का पहाड़ टूट पड़ता है।

यदि उसके नाबालिग बेटे दीपक की माने तो बरसात होते समय वह अपनी मां के साथ तिरपाल से अपनी मां व अपना तो बचाव कर लेता है किंतु गृहस्थी का सामान बरसात से भीग जाता है।
ऐसे में रहने के साथ दलित परिवार को खाना बनाकर खाने में भी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर जिम्मेदारों की दया-दृष्टि ऐसे गरीब व अत्यंत पात्र परिवार के ऊपर क्यों नहीं पड़ती….. ? यदि गौर किया जाए तो सलोन ब्लाक के कई ऐसे परिवारों को विकास विभाग के अधिकारियों ने चयनित कर पीएम आवास योजना ग्रामीण का लाभ दिया जिसको पूर्व में इंदिरा आवास योजना का लाभ मिला हुआ था। कई ऐसे परिवारों को आवास दिया जिनके पक्के मकान पूर्व में भी बने हुए थे।

अचंम्भे की बात तो यह है की एक ही परिवार में दो व तीन सदस्यों को पीएम आवास योजना ग्रामीण का लाभ दे चुके हैं। आखिर विकास विभाग के जिम्मेदार योगी सरकार के छवि पर बट्टा लगाने से क्यों बाज नहीं आ रहे हैं? यह एक सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है।

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