बैनामों में स्टाम्प चोरी पर नकेल लगाने में नाकाम हो रहे जिम्मेदार
कुछ तथाकथित कर्मचारियों के बारे में चर्चा आमोखास
साहब के मैनेजमेंट का सारा हिसाब किताब उन्हीं के पास
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने को प्रयत्नशील मुख्यमंत्री की मंशा को पलीता लगाया जा रहा है। कई फर्जी बैनामे के मामलों के खुलासे के बाद भी निबंधन विभाग में घूसखोरी चरम सीमा पर चल रही है। उल्लेखनीय है कि कई मामलों में डीएम के हस्तक्षेप के बाद भी विभागीय कार्यवाही करने के बजाय मामलों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
सरकारी नियमावली के तहत होने वाले बैनामो में हरेक दिन लाखों रुपए के राजस्व को चूना लगाकर जेबें भरी जा रही हैं। सूत्रों की माने तो प्रतिमाह होने वाली करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि को भी अनदेखा किया जा रहा है। निबंधन विभाग में फैले मकड़जाल को भेदना किसी चुनौती से कम नही है। सरकारी रशीद के अतिरिक्त बिना ऊपरी चढ़ावे के कोई भी बैनामा हो ही नही सकता है। बड़े-बड़े भूखंडों के बैनामो में सबसे अधिक स्टाम्प की कमी दिखाकर बड़ा खेल किया जाता है। सबसे दिलचस्प यहां मौजूद रहने वाले कुछ तथाकथित कर्मचारियों की भूमिका सबसे अधिक होती है जिनके बारे में चर्चा आमोखास है कि साहब के मैनेजमेंट का सारा हिसाब किताब उन्हीं के द्वारा होता है।
निबंधन कार्यालय पर तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों के अतिरिक्त कुछ चुनिन्दा व्यक्तियों की मौजूदगी सवालों के घेरे में हैं। यहां कम्प्यूटर आपरेटिंग करने वालों की भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत होती है। फिलहाल यहां सब कुछ यूँ ही चलता रहेगा अथवा इस पर नकेल लगेगी यह तो आने वाला समय ही तय करेगा। इस भ्रष्टाचार के खिलाफ एडवोकेट विनोद, एडवोकेट अनुभव सिंह आदि ने आवाज उठाते हुए दोषियों पर विभागीय कार्यवाही की मांग की है।
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