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जौनपुर। यूपी बोर्ड ने 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं का परिणाम घोषित कर दिया है। इसमें बहुत से छात्र ऐसे होंगे जिनका परिणाम उनके उम्मीदों के अनुरूप नहीं होगा। ऐसे छात्र अपने परिणाम के कारण डिप्रेशन व निराशा का शिकार बन जाते हैं। वास्तव में छात्र अपनी उम्मीदों से ज्यादा अपने माता-पिता की उम्मीदों के बोझ के कारण तनाव में आ जाते हैं। बहुत कम माता-पिता अपने बच्चों को इस बात के लिए तैयार करते हैं कि यदि परिणाम खराब भी आए तो कामयाबी के अन्य अनेक रास्ते हैं।
इस बारे में वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. हरीनाथ यादव ने कहा कि बच्चों पर रिजल्ट को लेकर दबाव बनाने पर वे डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं। यह कोई अन्तिम परीक्षा नहीं है कि रिजल्ट ही सब कुछ है आपने प्रयास किया नहीं हो सका तो कोई बात नहीं। उन्होंने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों को सपोर्ट करना चाहिए परिणाम चाहे जैसा भी आया हो बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए न की हतोत्साहित। आज हर जगह इंट्रेंस एग्जाम से दाखिले हो रहे हैं, ऐसे में आपके बोर्ड परीक्षा के मार्क बहुत अधिक मायने नहीं रखते।
डा. यादव ने कहा कि छात्र खुद पर यकीन रखें, यह जीवन की शुरुआत है, आत्म मूल्यांकन करें एवं योजनाबद्ध तरीके से आगे की तैयारी करें। 10वीं और 12वीं का परिणाम जीवन का बहुत छोटा हिस्सा होता है। इससे सम्पूर्ण जीवन की सफलता का पैमाना तय नहीं होता। अभी वास्तविक जीवन में बहुत सी परीक्षाएं होंगी उसमें आपका सफल होना अधिक आवश्यक है।
डा. हरीनाथ यादव ने अभिभावकों के लिए सलाह देते हुए कहा कि जो छात्र पहले से ही तनाव या डिप्रेशन में हों उनका विशेष ध्यान रखें, क्योंकि ऐसे छात्रों में सुसाइडल सोच या आत्महत्या के विचार जल्दी आते हैं। ऐसे में अगर आप का बच्चा खाना छोड़ दिया है, ज्यादा चिड़चिड़ा हो गया है, उसे बात-बात पर गुस्सा आ जाता है, वह उदास रहता हो तो ऐसे माता पिता को थोड़ा सचेत रहना चाहिए। ऐसे बच्चों के साथ माता-पिता को बहुत समझदारी से पेश आना चाहिए। उन्हें अकेला न छोड़े और जरूरत पड़ने पर एक्सपर्ट या मनोचिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
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