सबसे विवादित एवं भ्रष्ट दारोगा को एसओजी में शामिल करने पर उठे सवाल!

सबसे विवादित एवं भ्रष्ट दारोगा को एसओजी में शामिल करने पर उठे सवाल!

अब खुद को एसओजी प्रभारी बताकर वसूली की शिकायत करने वाले पीड़ितों को धमका रहे अवस्थी
जब तक एसओजी में तैनाती नहीं मिल गयी तब तक नहीं करायी खीरो थाने से रवानगी
लाइन हाजिर होने के बाद 24 घण्टे में ही किस सफेदपोश के दबाव में की गयी तैनाती?
अनुभव शुक्ला
रायबरेली। रिश्वत की गोली खाकर अपराधियों को पचाने में महारत हासिल कर चुके दारोगा देवेंद्र अवस्थी की एसओजी में ताजपोशी मुर्दाबाद के नारों के बाद सवालों के घेरे में आ चुकी है। खीरों में बतौर थानाध्यक्ष तैनात रहे देवेंद्र अवस्थी ने बड़े से बड़े कारनामे को भी रिश्वत की गठरी के नीचे दबा दिया। चाहे हर्ष फायरिंग के दौरान हुई ग्रामीण के मौत के मामले में असली मुजरिम को बदलना हो या फिर लाखों के जेवर चोरी करने वाले चोर को मोटी रकम लेकर 4 दिन बाद थाने से छोड़ देना श्री अवस्थी दोनों ही कामों में उस्ताद रह चुके हैं। पुलिस मुख्यालय पर हर दूसरे दिन खीरों से आने वाले पीड़ितों से वसूली और भ्रष्टाचार की शिकायतें सुन-सुनकर थक चुके एसपी आलोक प्रियदर्शी ने सत्ता का संरक्षण होने के बावजूद बड़ी हिम्मत दिखाकर उन्हें लाइन हाजिर कर दिया। एसपी ने यह लाइन हाजिरी यूं ही नहीं की, बल्कि सीओ लालगंज ने भ्रष्टाचार के एक आरोप में उन्हें दोषी भी पाया था। अभी भी आधा दर्जन जांचें प्रचलित हैं। इन जांचों पर देवेंद्र अवस्थी का कहना है कि कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उनकी यह बात 15 अगस्त को उस समय सच हो गई जब पुलिस अधीक्षक ने सत्ता के दबाव में फिर मजबूर होकर देवेंद्र अवस्थी को एसओजी टीम में शामिल कर दिया। देवेंद्र अवस्थी एसपी की इसी मजबूरी का फायदा उठाकर उन गवाहों और पीड़ितों को धमका रहे हैं जिन्होंने उनके विरुद्ध वसूली की शिकायतें की हैं।
खीरों थाने से लाइन हाजिर किए गए देवेंद्र अवस्थी 15 अगस्त को रिलीव हुए जबकि 13 अगस्त को उन्हें लाइन हाजिर कर दिया गया था। यही नहीं, 15 अगस्त को ही उन्हें एसओजी के आपरेशन ग्रुप का प्रभारी बना दिया गया। मतलब देवेंद्र अवस्थी को जब तैनाती मिल गई तब उन्होंने नियमत: थाना छोड़ा। इससे पहले वह कागजों पर डटे रहे भले ही नवागंतुक थानाध्यक्ष देवेंद्र सिंह भदौरिया ने अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया था। शहर कोतवाली की त्रिपुला पुलिस चौकी में वसूली, डलमऊ कोतवाली की मुराईबाग चौकी में रहते समय की गई लूट, लालगंज कोतवाली में कस्बा चौकी इंचार्ज रहते समय फल के ठेले वालों से महिनवारी वसूलने पहले देवेंद्र अवस्थी ने खीरों थाने का चार्ज मिलते ही भ्रष्टाचार की हदें पार कर दी। लोगों को बेवजह और बेमतलब थाने लाकर पीटना, पैसे न मिलने तक बैठाए रखना और चोरी के असली आरोपियों को छोड़ देना इनकी कार्यशैली का प्रमुख अंग रहा है। लोगों की नजर में तो इन पर एक अधेड़ की जान लेने का भी आरोप है जिसे मृत अवस्था में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा कर इन्होंने अपना दामन बचा लिया था। यह कोई और नहीं, बल्कि एक पीड़ित था जो अपनी फरियाद लेकर थाने गया था लेकिन इन्होंने उसे इस कदर बेइज्जत किया और दुत्कारा की थाने में ही उसे हार्ट अटैक आ गया। इस मामले में भी पुलिस अधीक्षक ने लीपापोती करके इन्हें बचा दिया। देवेंद्र अवस्थी द्वारा खीरों थाने के पाहो गांव में एक किशोरी द्वारा आग लगाकर आत्महत्या करने के मामले को भी दबाने का आरोप है। इस किशोरी को आत्महत्या के लिए पुलिसकर्मियों ने ही मजबूर किया था। इस घटना पर भी उन्होंने पर्दा डाल दिया। परसाद खेड़ा में कांति देवी के यहां चोरी हुई, शिकायत की गई, चोर भी पकड़ गया, मगर देवेंद्र अवस्थी ने इस चोर को मोटी रकम लेकर छोड़ दिया। कांति देवी ने न्याय की गुहार अपर पुलिस अधीक्षक से लगाई। एएसपी ने थानाध्यक्ष की भूमिका की जांच सीओ सिटी को सौंप जो चल रही है। इसमें अभी तक देवेंद्र अवस्थी ने अपने बयान नहीं दर्ज कराए हैं। खीरों में बरौला निवासी चोर ने 2 लाख नकद और 5 लाख रुपए के जेवर पार कर दिए। देवेंद्र अवस्थी ने मोटी रकम लेकर चार दिन तक थाने में बैठाने के बाद इसे भी छोड़ दिया इसकी भी शिकायत पुलिस अधीक्षक से पीड़ित ने की। रनापुर में दबंगों ने एक युवक को पीट-पीटकर उसकी नाक की हड्डी तोड़ दी और देवेंद्र अवस्थी ने कहा कि यह व्यक्ति नाले में गिर गया है। खड़ी ट्रैक्टर ट्राली में अपनी कार भिड़ा देने के बाद एक विधवा महिला से 40 हजार रुपए भी वसूलने का आरोप इन पर है। हालांकि इस मामले की जब जांच शुरू हुई तो देवेंद्र अवस्थी ने डरा-धमका कर गवाह को बयान देने से मना कर दिया। सर्राफा व्यापारी महेंद्र सोनी से निर्माण के बदले डेढ़ लाख रुपए मांगने के आरोप की जांच में तो यह दोषी भी सिद्ध हो चुके हैं। खीरों के काले कबाड़ी को पकड़कर 12 हजार लेकर उसे चार दिन बाद छोड़ा। काले को फंसाने के लिए फर्जी चलानी रिपोर्ट बनाकर उसका 151 में चालान कर दिया। इनके कारनामों से ऊबकर ही पुलिस अधीक्षक ने इन्हें लाइन हाजिर कर दिया था। सत्ता के संरक्षण में खुद को कप्तान से ऊपर समझने वाले देवेंद्र अवस्थी ने इसके बावजूद भी थाना नहीं छोड़ा और जब तक उन्हें एसओजी में तैनाती नहीं मिल गई तब तक रिलीव नहीं हुए।
भ्रष्टाचार के आरोपी जनपद के सबसे विवादित इस दरोगा को लाइन हाजिर करने के बाद 24 घंटे के भीतर ही नई तैनाती दी गई। पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी की आखिर क्या मजबूरी थी कि उन्हें देवेंद्र को एसओजी टीम में भेजना पड़ा। अब फोन कर करके खुद को एसओजी प्रभारी बताने वाले देवेंद्र अवस्थी उन लोगों को धमका रहे हैं जिन्होंने उनकी वसूली की शिकायतें की हैं और आरोप लगाए हैं। पूरा जिला पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी के इस निर्णय से हैरान है। लोगों को कहना है कि अगर यह तारों का इतना ही अच्छा था तो इसे लाइन हाजिर करने की क्या जरूरत थी? खीरों से हटाकर कप्तान साहब को इन्हें किसी कोतवाली का चार्ज दे देना चाहिए था। वैसे जनता में पुलिस अधीक्षक के फैसले को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं।

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