वोटरों की चौखट पर नेताओं को जांचने-परखने का सिलसिला

वोटरों की चौखट पर नेताओं को जांचने-परखने का सिलसिला

अजय कुमार लखनऊ
उत्तर प्रदेश की 80 सीटों के लिये जबर्दस्त फाइटिंग देखने को मिल रही है। नेताओं द्वारा पुराने मुद्दों को तरासा जा रहा है तो नये मुद्दों को भी धार दी जा रही है। सभी दलों के नेता विरोधियों की गुगली से बचने के नजरें लक्ष्य पर जमाये हुए हैं। एक तरफ इंडी गठबंधन की पार्टियां समाजवादी पाार्टी और कांग्रेस चुनाव में बेरोजगारी, मंहगाई, ईवीएम मशीन, साम्प्रदायिकता के सहारे बीजेपी और मोदी को घेरने में लगे हैं तो बीजेपी और एनडीए के अन्य नेता इंडी गठबंधन को परिवारवाद, भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण राष्ट्रवाद के सहारे गोल-गोल घुमाने में लगे हैं। दोनों की गठबंधन अपनी लकीर लम्बी खींचने में लगे हैं। इस बीच प्रत्याशियों के नाम की घोषणा का सिलसिला भी जारी है। कुल मिलाकर 7 चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तमाम राजनीतिक दल अपनी तैयारी को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इस समय देश में प्रमुख रूप से दो गठबंधन नजर आ रहे हैं। एक तरफ एनडीए तो दूसरी तरफ इंडी गठबंधन है। वहीं कई क्षेत्रीय दल अपने-अपने राज्यों में चुनाव के लिये ताकत दिखा रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी भी एक ऐसा ही क्षेत्रीय दल है। इसी लिय राजनीतिक मैदान में जीत समीकरण स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा हैं। अखिलेश यादव पीडीए यानी पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक पॉलिटिक्स को स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं बसपा प्रमुख मायावती दलित अल्पसंख्यक पिछड़ा समीकरण को साधने का प्रयास कर रही हैं। इसी प्रकार कांग्रेस की कोशिश पिछड़ा अल्पसंख्यक वोट बैंक को अपने पाले में लाने की है। वहीं भारतीय जनता पार्टी के स्तर पर अपने कोर वोट बैंक को साधने के साथ-साथ हिंदुत्व की राजनीति और विकास को जमीनी स्तर पर सेट किया गया है। वोटरों को अपने पहले में लाने की कोशिश हर दल कर रहा है लेकिन ओपिनियन-एग्जिट पोल के रिजल्ट कुछ अलग ही तस्वीर दिखा रहे हैं। इसमें भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए बड़ी बढ़त बनाती दिख रही है।
बहरहाल यूपी में मोदी-योगी मैजिक के आगे सब फेल हो रहे हैं। विपक्ष को बड़ा झटका लगता दिख रहा है। भारतीय जनता पार्टी अपने दम पर 50 फीसदी से अधिक वोट पाते दिख रही है। यह स्थिति तब है, जब देश में नरेंद्र मोदी अपने कार्यकाल का दस साल पूरा कर रहे हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार 7 वर्ष पूरे कर चुकी है। डबल इंजन की सरकार को लेकर यूपी में अभी तक एंटी इनकंबैंसी नहीं दिख रहा है। इसमें भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए उत्तर प्रदेश के चुनावी मैदान में बड़ी बढ़त बनती दिख रही है। एक ओपिनियन पोल में भाजपा 74 सीटों पर जीत दर्ज करती दिख रही है। वहीं दूसरे सर्वे में भाजपा को 77 सीटों पर जीत मिलती दिखाई गई है। इन सर्वे में विपक्ष का सफाया होता दिख रहा है। लोकसभा चुनाव को लेकर यह स्थिति क्यों बनी? इसके पीछे की वजह डबल इंजन सरकार की योजनाएं हैं। यूपी चुनाव 2022 के दौरान कोरोना काल में शुरू की गई फ्री राशन योजना का बड़ा असर दिखा। हालांकि फिर राशन के नाम पर अब जनता को जिस तरह से बरगलाया जा रहा है उससे राशन कार्ड धारकों में नाराजगी बढ़ रही है। सरकार बीपीएल कार्ड धारकों को छोड़कर अन्य कार्डधारकों को प्रति यूनिट 5 किलो अनाज जरूर दे रही है लेकिन इसमें एक किलो बाजारा, एक किलो गेहूॅ और तीन किलो चावल दिया जा रहा है जबकि कम से कम यूपी में तो आम आदमी स्वास्थ्य कारणों से रोटी यानी गेहॅू ही पसंद करता है जो मात्र प्रति यूनिट एक किलो दिया जाता है। इससे राशन कार्डधारकों में नाराजगी है।
इसी तरह से आयुष्मान कार्ड बनवाने में भी जनता को परेशानी हो रही है। हॉ, यह जरूर है कि बीजेपी को मायावती के परंपरागत दलित वोट बैंक में इससे सेंधमारी करने में सफलता मिली। यूपी में करीब साढ़े 3 दशक के बाद कोई सरकार अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद दूसरी बार सत्ता में आने में सफल रही। योगी आदित्यनाथ एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। उनका बुलडोजर मॉडल काफी कारगर रहा है। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी की योजनाओं को भी जमीन पर उतारने में कामयाबी मिली है। नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से किसान सम्मान निधि से लेकर उज्ज्वला योजना तक का लाभ लोगों को मिल रहा है। इसके अलावा आयुष्मान योजना से लेकर हर घर को नल का जल योजना तक को तेज गति से पूरा कराने में सफलता मिली है। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट जैसी योजनाएं जिलों को नेशनल और इंटरनेशनल लेवल तक ले जाने में कामयाब हुई है। एक्सप्रेस वे का निर्माण भी हो रहा है। यह सभी भाजपा के पक्ष में माहौल बना रहा है।
उधर पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर योगी आदित्यनाथ तक हिन्दुत्व को ‘जगाने’ में कामयाब रहे हैं। पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया। इसी कार्यकाल में राम मंदिर भी बनकर तैयार हुआ। पीएम मोदी राम मंदिर के शिलान्यास से लेकर प्राण प्रतिष्ठा तक के कार्यक्रम में दिखे। अपने हिंदुत्व छवि को इन कार्यक्रम में बखूबी उभारा। वे एक बड़े वर्ग से खुद को कनेक्ट करने में सफल रहे। वहीं सीएम योगी ने अयोध्या के दीपोत्सव को देश-विदेश में प्रसिद्ध कर दिया है। मोदी सरकार के कार्यकाल में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनकर तैयार हुआ। अब मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि कॉरिडोर निर्माण पर काम चल रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर धर्म को लेकर अलग रुख रख रहे हैं। हालांकि पिछले दिनों उन्होंने संकेतों में भगवान शिव और श्रीकृष्ण के धाम के विकास की बात कही। वहीं इस मामले में सीएम योगी विधानसभा में ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने का बैरिकेट टूटने की बात कर चुके हैं। इस प्रकार विकास से लेकर धर्म तक के मामले में दोनों नेताओं का कनेक्ट बड़े वर्ग से होता दिख रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 में एक बार फिर भाजपा का वोट प्रतिशत की उम्मीद की जा रही है। वर्ष 2014 में भाजपा, नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ चुनावी मैदान में उतरी थी। इसके दस साल हो चुके हैं। वाराणसी से उतरे नरेंद्र मोदी का मैजिक पूरे देश-प्रदेश में चल रहा है। 2014 में 42 फीसदी वोट शेयर के साथ पार्टी यूपी की 71 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही। वहीं एनडीए को इस चुनाव में 73 सीटों पर जीत मिली। वहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा करीब 50 फीसदी और एनडीए 50.62 फीसदी वोट शेयर हासिल करने में कामयाब रही। 2019 के आम चुनाव में भाजपा को 62 और एनडीए को 64 सीटों पर जीत मिली थी। खैर! अच्छी बात यह है कि 5 साल के बाद एक बार फिर वोटरों को अपने जनप्रतिनिधि को जांचने-परखने के बाद उन्हें रीजेक्ट या सैलेक्ट करने का मौका मिलने जा रहा है जो लोकतंत्र को मजबूत करने के लिये काफी महत्वपूर्ण है।

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