शान्तिप्रिय अहिंसक जैन समाज आन्दोलन की राह पर
आरा (बिहार)। झारखण्ड राज्य के गिरिडीह जिले में स्थित शाश्वत जैन तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखरजी जो पारसनाथ की पहाड़ियां के नाम से भी जाना जाता है जिसे लेकर जैन समाज आंदोलन कर रहा है।आरा जैन समाज के मीडिया प्रभारी निलेश कुमार जैन ने बताया कि श्री सम्मेद शिखरजी सर्वोच्च जैन तीर्थ स्थल है जिसकी वंदना करने के लिए प्रति वर्ष लाखों श्रद्धालु देश विदेश से आते हैं 27 किलोमीटर की वंदना जैन श्रद्धालु नंगे पैर भूखे प्यासे करते हैं इसी क्षेत्र को झारखंड सरकार के 2018 के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने 2019 में एक अधिसूचना जारी कर इसे पर्यटक स्थल के रूप में घोषित किया है इस अधिसूचना से इस क्षेत्र की स्वतंत्र पहचान पवित्रता आदि खतरे में पड़ गई है।
जैन समाज को आशंका है कि पर्यटन स्थल बनने से यहां पर होटल खुलेंगे, पर्यटक मनमानी करेंगे, मांस मदिरा का सेवन करेंगे, जो जैन समाज की आस्था के साथ खिलवाड़ होगा। आरा जैन समाज के संयोजक डॉ शशांक जैन ने बताया कि जैन समाज श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटक स्थल के बदले पवित्र जैन तीर्थ स्थल घोषित करने के लिए पूरे भारतवर्ष में साथ ही विदेशों में भी धरना, प्रदर्शन, आमरण अनशन, भूख हड़ताल, व्यापार बंद आदि आंदोलन कर रही है।
जैन समाज की मांग है कि केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना क्रम 2795 दिनांक 2 अगस्त 2019 को अविलंब रद्द कर शिखरजी पहाड़ी और तलहटी में बसे मधुबन को मांस मदिरा बिक्री मुक्त पवित्र जैन तीर्थ स्थल घोषित किया जाए। आंदोलन की कड़ी में आरा में बसे जैन भी 31 दिसम्बर को सामूहिक मुंडन कराएंगे और 1 जनवरी को साल के प्रथम दिन सांकेतिक धरना प्रदर्शन करेंगे तथा 8 जनवरी को एक विशाल रैली निकालकर व्यापार बंद कर राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा जाएगा। सरकार द्वारा अधिसूचना वापस न लेने पर आगे भी चरणबद्ध आंदोलन चलता रहेगा जब तक कि सरकार इसे वापस ना ले लेती है।
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