कैलाश राजपूत जसराना, फिरोजाबाद। स्थानीय क्षेत्र के कस्बा पाढम में जन्मेजय नाग यज्ञ कुंड काली माता मंदिर पर श्री शतचण्डी महायज्ञ एवं भव्य रासलीला का आयोजन होने जा रहा है। 26 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक रात्रि में रासलीला का कार्यक्रम, सुबह 8 से प्रातः 11 बजे तक यज्ञ एवं हवन का कार्यक्रम होगा। आचार्य अभिषेक भारद्वाज एवं यज्ञकर्ता अनुराग पाठक श्री श्याम वृंदावन के नेतृत्व में किया जायेगा। काली माता मंदिर के पुजारी पंडित सुधीर शास्त्री एवं कस्बा क्षेत्र के समस्त ग्रामीण सहयोगकर्ता रहेंगे। जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे। जनमेजय की पत्नी वपुष्टमा थी, जो काशीराज की पुत्री थी। बड़े होने पर जब जनमेजय ने पिता परीक्षित की मृत्यु का कारण सर्पदंश जाना तो उसने तक्षक से बदला लेने का उपाय सोचा। जनमेजय ने सर्पों के संहार के लिए श्सर्पसत्रश् नामक महान यज्ञ का आयोजन किया।
नागों को इस यज्ञ में भस्म होने का शाप उनकी मां कद्रू ने दिया था। नागगण अत्यंत त्रस्त थे। समुद्र मंथन में रस्सी के रूप में काम करने के उपरान्त वासुकी ने सुअवसर पाकर अपने त्रास की गाथा ब्रह्मा से कही। उन्होंने कहा कि ऋषि जरत्कारु का पुत्र धर्मात्मा आस्तीक सर्पों की रक्षा करेगा, दुरात्मा सर्पों का नाश उस यज्ञ में अवश्यंभावी है। अतः वासुकि ने एलायत्र नामक नाग की प्रेरणा से अपनी वहन जरत्कारु का विवाह ब्राह्मण जरत्कारु से कर दिया था। उनके पुत्र का नाम आस्तीक रखा गया। ब्राह्मण काल के अंत में उत्पन्न कुरु वंश के राजा जनमेजय को अनेक अश्वों का स्वामी बताया गया है। आसंदीवत्र उसकी राजधानी थी। पापमुक्त होने के लिए उसके पौत्रों ने अश्वमेध यज्ञ किया था। शौनक ऋषि इस यज्ञ के पुरोहित थे। महायज्ञ के बाद 5 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे से विशाल भण्डारे का आयोजन भी किया जायेगा।
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