होली की बेला पर…!

होली की बेला पर…!

चढ़ा है….. फागुन का वेग प्रचण्ड….
छिड़ा है… हर ओर होली का प्रसंग…
यारों सब निकलो मिल करके संग,
कितनी ही हो गलियाँ….!
अपने गाँव-देश की तंग….
इतना भरा हुआ हो सबमें उमंग,
कि गलियों में निकले सब नंग-धड़ंग..
फिर लेकर पक्के वाले रंग,
मनाओ भोजाई संग पूरा हुड़दंग….
लड़ो कुछ ऐसी जंग…. देख के…!
पब्लिक सब हो जाए दंग…..
फिर रंग लगाओ… गुलाल उड़ाओ….
एक दूजे के….. अंग-प्रत्यंग…..
ऐसे मनाओ तुम होली को,
दुनिया दिखने लगे सतरंग….
संग-संग इसके यारों….!
इतनी रखना तुम सब मर्यादा…
नाराज न होने पाएं बूढ़े दादी -दादा
ज़िम्मेदारी तूम सब की है…!
रखना उनको सदा प्रसन्न…. सो…
जेहन में रखना मेरी यह बात,
हर बुराई पर भारी है… तेरा कुसंग…
इसलिए यारों…. बस इसीलिए….!
मत बनना खुद में कोई तुम सरहंग,
किसी को ना करना बेहद बदरंग….
ना बदलो अपनी चाल-चलन तुम सब
ना बदलो कोई रंग-ढंग….!
ना कुछ बोलो कोई भाषा बेढंग….
चाहे कितना ही पी लो,
तुम सब होली में ठण्डाई या फिर भंग
तय कर लो…. किसी भी सूरत में…
न होने देंगें होली को बेरंग….!
सुन लो मेरे मित्रों… सब जाने यह बात
बिन त्योहारों के….!
जीवन होता है बस बकवास….
त्योहारों के कारण ही,
जीवन में हम सबके….!
होती है उमंग-तरंग…..
फिर होली पर करके पूरा हुड़दंग,
छुड़ाने को लिपटे हुए सब रंग….
नहाओ मजे से जाकर नदी गंग,
फिर गरम-गरम गुझिया के संग….
आसमान में तुम सब,
खूब उड़ाओ लाल पतंग….
होली का कुछ ऐसा ही हो आनन्द,
मन मेरा यह कहता होकर स्वछन्द….
यारों तुम सबको…. होली की बेला पर
मेरी रंग-बिरंगी शुभकामनाएं अनन्त..
रंग-बिरंगी शुभकामनाएं अनंत….!!


रचनाकार——जितेन्द्र दुबे
अपर पुलिस उपायुक्त,
जनपद—लखनऊ

Read More

Recent