जी साहब….
पढ़े लिखे हो…..?
“जी साहब”…..
चपरासी बनना चाहते हो….?
“जी साहब” …..
क्यों……?
“जी साहब” …. वो क्या है न…!
चपरासी बड़ा जानदार पद है…
न कोई जवाबदेही… न कोई तनाव
साहिबानो का सेवादार पद है..
गलती होने पर भी…!
कोई जाँच नहीं… कोई दण्ड नहीं..
बहुत हुआ तो डाँट और बस डाँट
डाँट पर भी…. वही जवाब…..
“जी साहब” गलती हो गई….
इसी से काम चल जाता है…
साहब अब आपको क्या बताऊँ…
तय समय के बाद,
कोई पूछने वाला भी नहीं होता…
ऑफिस से घर जाओ,
बीबी की खूब जी हजूरी करो,
बच्चों को किस्सा-कहानी सुनाओ,
मन भर हुक्का गुड़गुड़ाओ….
परम-आनन्द लो…..
वह भी अपने ही गाँव-घर में…..
साहब एक बात और
इसमें आने वाली पीढ़ियों का,
भविष्य भी उज्जवल है….
उनको बहुत पढ़ाने-लिखाने की,
और कंपटीशन कराने की भी
कोई जरूरत नहीं ……
उन्हें तो बस……!
“जी साहब” सीखने की जरूरत है
और अगर ज्यादा जरूरत हुई तो
एक “जी” और सीखना है
कुल मिलाकर…..!
“जी साहब जी” सीख लेना है….
फिर तो मौका मिलते ही,
आप लोगों की जी हजूरी कर….
उनको मैं चपरासी बनवा ही लूँगा
“जी साहब”…. घर परिवार में….
ज्यादा से ज्यादा लोगों को,
मैं चपरासी ही बनवाऊँगा….
सबकी आमदनी जोड़कर…
आपसे ज्यादा… रुपया-पैसा,
घर बैठे परिवार में ही कमाऊँगा…
और हाँ..आपकी जी हुजूरी से भी
कुछ टिप्स/बख्शीश भी कमा लूँगा
पत्नी को आगे कर मैं,
गाँव की राजनीति भी करूँगा….
सच कह रहा हूँ साहब… !
मैं तो चपरासी बनूँगा…और…
आने वाली पीढ़ी को भी….
मैं कतई… ज्यादा नहीं पढ़ाऊँगा,
कोई कंपटीशन भी नहीं दिलाऊँगा
आप लोगों की जी हुजूरी से
उनको भी कम उम्र में,
चपरासी ही बनाऊँगा…..
चपरासी ही बनाऊंगा…..
रचनाकार——जितेन्द्र दुबे
अपर पुलिस अधीक्षक
जनपद-कासगंज
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