मानस माहात्म्य (भाग-12)

मानस माहात्म्य (भाग-12)

गिरि विवर पैठत देखि सूकर नृपति मन विचलित भये।
फिरि गहन बन विह्वल क्षुधा भ्रम भूलि पुनि मारग गये।
नृप तृषित बाजि समेत खोजत सरित सर ब्याकुल भये।
बन भ्रमत आश्रम दीख जहँ मुनि बेष कपटी नृप धये।

जासु राज जीति नृप सेन रन त्याजि दियो
निरखि प्रतापभानु हिय हार माने है।
गयउ न गृह उर बढ़त बिषाद बहु
भूप हारि मन निज कुसमय जाने है।
रंक सम क्रोध निज उर में दबाइ लीन्हो
देखत प्रतापरबि मुनि पहिचाने है।
मुनि बेष निरखि प्रतापभानु चीन्हों नाहिं
लखिके सुबेष नृप संत तेहिं माने है।।

बाजि उतरि नृप जाइ तब साधुहिं कीन्ह प्रनाम।
मुनि आयसु लै नृपति पुनि किय मज्जन जलपान।।
तापस नृपहिं प्रबोधि दोउ गमन आश्रमहिं कीन्ह।
साँझ समय मुनि जानि तब नृप कहँ आसन दीन्ह।
कपटी मुनि पूँछत नृपहिं केहिं बन फिरहुँ अकेल।
चक्रवर्ति लक्षन सुभग बिपन करहुँ किमि खेल।।

नृप दीन्ह परिचय कहि मृषा कैकय नृपति मन्त्री कहे।
बन फिरत करत अहेर भूलेउ भाग्य बड़ दर्शन लहे।
मुनि कपट धरि उर कहेउ नृप तव दूर बहुत नगर अहे।
निसि बास करि आश्रम अपर दिन गमन निज राजहिं महे।।

होनी को न टारि सके बिधि जो लिखा लिलार
बुद्धि ज्ञान काल तहँ तैसे बनि जात है।
भ्रम वश नृप सठ तपसी को संत मानि
अरि पुनि नृप क्षत्रि छल हीं सुहात है।
राजसुख दुख हिय जरत अनल सम
बैर निज मन लिये हिय हरषात है।
कपटी कुटिल संत भयो नृप तासु बस
निज हित नृपति चरन परि जात है।।
रचनाकार: डाॅ. प्रदीप दूबे
(साहित्य शिरोमणि)
शिक्षक/पत्रकार।

आधुनिक तकनीक से करायें प्रचार, बिजनेस बढ़ाने पर करें विचार
हमारे न्यूज पोर्टल पर करायें सस्ते दर पर प्रचार प्रसार।

Jaunpur News: Two arrested with banned meat

Job: Correspondents are needed at these places of Jaunpur

बीएचयू के छात्र-छात्राओं से पुलिस की नोकझोंक, जानिए क्या है मामला

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Read More

Recent