मध्य प्रदेश सरकार भगवान कार्तवीर्यार्जुन प्रकरण में हस्तक्षेप करें: ध्रुवचन्द जायसवाल
मध्य प्रदेश सरकार भगवान कार्तवीर्यार्जुन प्रकरण में हस्तक्षेप करें: ध्रुवचन्द जायसवाल
अजय जायसवाल
गोरखपुर। भगवान कार्तवीर्यार्जुन के सम्बन्ध में की गई अशोभनीय टिप्पणी पर धीरेन्द्र शास्त्री ने खेद व्यक्त तो किया है किन्तु अभी भी अपने अमर्यादित अशोभनीय टिप्पणी को उचित ठहराया है जो निंदनीय है। धीरेन्द्र शास्त्री ने भगवान कार्तवीर्यार्जुन के सम्बन्ध में असंसदीय अनर्गल टिप्पणी करके खेद व्यक्त करते हुए एक पुनः अपने कथन को यह कहते हुए साबित करने का प्रयास किया है कि हमारे हिन्दू शास्त्रों में वर्णित है।
यह सरासर झूठ एवं गलत है। धीरेन्द्र शास्त्री ने यह भी अपने सफाई में कहा है कि मैं तो सनातन की एकता के पक्षधर रहे हैं। यह भी सरासर झूठ एवं सत्य से परे है। धीरेन्द्र शास्त्री हिन्दू समाज को तोड़ने पर आमादा है। यह हिन्दू के नाम पर कलंक है। इसके हालिया वक्तव्यों से ऐसी साबित हो रहा है। उक्त बातें अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा के प्रदेश अध्यक्ष ध्रुव चन्द जायसवाल ने कही।
उन्होंने कहा कि धीरेन्द्र शास्त्री से सवाल है कि किस हिन्दू शास्त्रों से अध्ययन करके व पढ़कर हिन्दू समाज को गुमराह करते हुए भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन के सम्बन्ध में अनर्गल अशोभनीय टिप्पणी किया है। हिन्दू शास्त्रों का नाम बताने की कृपा करें तथा उस हिन्दू शास्त्रों को लिखने वाले विद्वानों के नाम पूरे हिन्दू समाज के लोगों को बतायें। साथ ही यह भी बताने का कष्ट करें कि भगवान कार्तवीर्यार्जुन सहस्त्रबाहु अर्जुन हिन्दू चक्रवर्ती सम्राट थे कि नहीं तथा सनातन धर्म को मानते थे या सनातन धर्म के विरोधी थे। आपको यह भी स्पष्ट करना होगा। नहीं तो कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
श्री जायसवाल ने कहा कि हैहय वंशजों के कई संगठनों ने मध्य प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों को लिखित शिकायती पत्र दिया है तथा समाचार पत्रों में भी प्रमुखता से प्रकाशित हो रहा है, फिर भी धीरेन्द्र शास्त्री के विरुद्ध अधिकारियों द्वारा मुकदमा लिखने का आदेश क्यों नहीं दिया जा रहा है। क्या कारण है मुकदमा जब-तक रजिस्टर्ड नहीं होगा तब-तक प्रशासनिक अधिकारियों व्दारा उचित कार्रवाई नहीं होगी। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार से अनुरोध है कि भगवान कार्तवीर्यार्जुन के सम्बन्ध में अनर्गल अमर्यादित टिप्पणी तत्काल धीरेन्द्र शास्त्री के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर उचित कार्रवाई का निर्देश जारी करें।
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