आहिस्ता चल जिंदगी, अभी कुछ कर्ज़ चुकाना बाकी है….
आहिस्ता चल जिंदगी, अभी कुछ कर्ज़ चुकाना बाकी है….
कुछ दर्द मिटाना बाकी है, कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है….
रफ्तार में तेरे चलने से कुछ रूठ गए कुछ छूट गए….
रूठों को मनाना बाकी है, रूठो को हसाना बाकी है….
कुछ हसरतें मेरी अधूरी है, कुछ काम भी और जरूरी है….
ख्वाहिशें जो घुट गयीं इस दिल में, उनको दफनाना बाकी है….
कुछ रिश्ते बन कर टूट गए, कुछ जुड़ते-जुड़ते छूट गए….
उन टूटते-छूटते रिश्तों के जख्मों को मिटाना बाकी है…
तू आगे चल में आता हूँ, क्या छोड़ तुझे जी पाऊँगा….
इन सांसो पर हक है जिनका, उनको समझाना बाकी है….
आहिस्ता चल ज़िंदगी अभी कुछ कर्ज़ चुकाना बाकी है….
कुछ दर्द मिटाना बाकी है, कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है….
शिवम कुमार गुप्ता