JAUNPUR NEWS : राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में बही हास्य रस की धारा

JAUNPUR NEWS : राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में बही हास्य रस की धारा

महेश पाल/अजय पाण्डेय
जौनपुर। अहिल्याबाई पाल उ०मा० विद्यालय वन विहार रोड़ कन्हईपुर में राष्ट्रीय हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। मातृभूमि फाउंडेशन, साहित्य विकास परिषद जौनपुर इकाई एवं अमर लेख हिंदी साहित्यिक संस्था अंतर्राष्ट्रीय मंच इटावा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि गिरीश चंद्र यादव खेल मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार ने किया। विशिष्ट अतिथि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष एवं पूर्व विधान परिषद सदस्य प्रभावती पाल और पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष दिनेश टंडन रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत डा० संगीता पाल के सरस्वती वंदना “तेरे चरणों की रज कण से नाता जोड़ लेते हैं” से हुआ जहां अध्यक्षता बुजुर्ग कवि होरी लाल “अशांत” ने किया। भोजपुरी लोक गीत “चक चुनरी चाची कहत रहिन नस कट खटिया दुखदाई हव, बतकट मेहरारू अगर मिलल तो रचिको न भलाई हव” के माध्यम से समा बाधा लोगों ने खूब सराहा। इसके बाद मध्य प्रदेश से पधारे पैरोडिकार जगदीश गुर्जर के गीत “चूड़ियां नहीं आती, बालियां नहीं आती, जीजा अगर फक्कड़ हो तो सालियां नहीं आती, दिल से जो लिखोगे तो पहुंच जाएगी दिल तक, मन की बात न हो तो तालियां नहीं आती” कि बेहतरीन प्रस्तुति दी।

इसके बाद इटावा से पधारे मझे हुए गीत व गजलकार रवि खामोश रविपाल “खामोश” की शानदार प्रस्तुति “टेढ़ा आंगन नहीं नाचना सीख ले, खुद गिरेहबान में झांकना सीख ले, मांगता ही रहा बीत सदियां गई, मांग मत अपना हक छीनना सीख ले” ने खूब तालियां बटोरी। इसी क्रम में टूंडला से पधारे युवा वीर रस कवि दिलीप बघेल ने “इंकलाब की हो मशाल तो शोला अच्छा लगता है, हर हाथ तिरंगा शोभित हो तो टोला अच्छा लगता है, तुमको अच्छे लगते होंगे। ठुमके नाच नाचनियों के हमको तो बस रंग बसंती चोला अच्छा लगता है”।

समा को आगे बढ़ाते हुए अहमदाबाद से पधारे व जौनपुर के मूल निवासी मन कुमार द्वारा ओज प्रस्तुति “शब्द निकले ही थे कि गजल बन गई, देखते-देखते सनम बन गई, हम कराते रहे मोबाइल का रिचार्ज उधर वह किसी और के संग भग गई”। लखनऊ से पधारी श्रृंगार रस की कवियित्री सोनी मिश्रा ” सिंदूर की गहराई कोई नाप नहीं सकता, उसके लहरों को कोई भाप नहीं सकता, हमारी भावनाएं होती हैं हवा जैसी, हवा का चित्र कोई छाप नहीं सकता”। अहमदाबाद से आए गजलकार सावन शुक्ला ने “तमाम जिस्म रुवानी पर बोझ हो जाता, ना तैरता तो मैं पानी पर बोझ हो जाता” ने अच्छी प्रस्तुति दी। प्रयागराज से पधारे महान हास्य कवि अखिलेश द्विवेदी द्वारा “जितने पढ़े-लिखे थे वह सब संतरी हुए, अपराधी चोर माफिया सब मंत्री हुए, जिसने विवाह करके अपनी पत्नी छोड़ दी वह अपने देश में प्रधानमंत्री हुए” के माध्यम से खूब तालियां बटोरी और जनता ने खूब सराहा।

इसी कड़ी में कच्छ गुजरात से पधारी जौनपुर जनपद की मूल कवियित्री डा. संगीता पाल ने गांव के परिवर्तित दृश्य “मेरे बचपन वाला गांव कहां, वो आम नीम की छांव कहां, तथा मातृशक्ति पर “आदमी आदमी को सताता है क्यों, बेवजह अपना रुतबा दिखाता है क्यों” गीत के माध्यम से संदेश देते हुए शानदार प्रस्तुति दी जो बहुत ही लोकप्रिय रहा। अंत में मंच संचालक प्रतापगढ़ से पधारे हरि बहादुर सिंह हर्ष “घर घर से अफजल निकलेगा तो हम क्या चुप धारेंगे, हम राणा के वंशज हैं हम घर में घुस कर मारेंगे” इस कार्यक्रम में संपन्न कराने में स्कूल के प्रबंधक राम दुलार पाल, अध्यक्ष कैलाश नाथ पाल व प्रधानाचार्य राजेंद्र भाई का बड़ा ही महत्वपूर्ण योगदान रहा। कार्यक्रम में जनपद के कोने—कोने व पड़ोसी जनपद से श्रोतागण उपस्थित रहे। कार्यक्रम के मुख्य आयोजक मन कुमार व राम बचन पाल रहे।

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