अजय शुक्ला
हैदराबाद। मुम्बई, दिल्ली, सूरत से आये दिन श्रमिकों के परेशानियों की खबरें आ रही हैं। कहीं जगह खाना मांग रहे प्रवासी श्रमिकों को लाठियां मिल रही हैं। मुम्बई के एक मंत्री ने दावा किया कि प्रवासी श्रमिकों को खाना मिल रहा है। वे घर जाने की मांग को लेकर बांद्रा स्टेशन पर जुटे हुये थे जबकि मुम्बई में छोटे-छोटे झोपड़ी और चाल में रहने वाले लोगों का दावा कि उनको सरकार की हेल्पलाइन पर फोन करने के बाद भी खाना उपलब्ध नहीं हो रहा है।
वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का भी दावा है कि वे हर दिन तक 10 लाख लोगों को खाना खिला रहे हैं जबकि वहां से खबरें आ रही हैं कि सुबह 6 बजे से लाइन में खाने की आस में खड़े होने के बाद दोपहर 12 बजे सैकड़ों की संख्या में लोगों को निराश होकर बिना खाने के ही लौटना पढ़ रहा है लेकिन देश के दूसरे अन्य राज्यों से तेलंगाना में प्रवासी श्रमिकों की स्थिति बेहतर है। मैं उत्तर प्रदेश का मूल निवासी होने के साथ एक वरिष्ठ पत्रकार हूं। मैंने स्वयं हैदराबाद के कई इलाकों का दौरा किया और ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम द्वारा चलायी जा रही अन्नपूर्णा योजना के स्थलों में भोजन वितरण की स्थिति का जायजा लिया।
बीते बुधवार को मारेड़पल्ली, सिकंदराबाद, विनायक नगर, क्लार्क टावर आदि स्थित अन्नपूर्णा केन्द्रों में लोगों को सुचारू रूप से भरपेट भोजन मिल रहा था। कुछ जगह पर तो एक भी व्यक्ति नहीं दिखायी दिये। ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम राज्य सरकार के निर्देश पर करीब 200 केन्द्रों के माध्यम से दिन-रात लोगों को भोजन उपलब्ध करवा रहा है। कुछ वृद्ध लोगों के घर भी सरकार भोजन पहुंचा रही हैं। यह एक नया और छोटा राज्य है, फिर भी यहां प्रवासी श्रमिकों की संख्या अधिक है।
सबसे खास बात यह है कि आईटी मंत्री केटीआर, वित्त मंत्री हरीश राव, पशु संवर्धन मंत्री श्रीनिवास यादव, परिवहन मंत्री अजय कुमार, महापौर राम मोहन आदि लगातार जमीनी स्तर पर लोगों को मिल गयी सुविधाओं का जायजा ले रहे हैं। यह सभी मंत्री आये दिन घर से बाहर निकलकर आश्रय केन्द्रों, बाजारों, अस्पतालों आदि का निरीक्षण कर रहे हैं। मजेदार बात यह है कि यहां एक भी उत्तर भारतीय सांसद व विधायक नहीं है, फिर भी प्रवासी श्रमिकों को राहत तो जरूर मिल रही हैं जबकि मुम्बई और दिल्ली में उत्तर प्रदेश-बिहार के कई विधायक, मंत्री, पार्षद, मेयर आदि हैं।
मुख्यमंत्री केसीआर का सख्त निर्देश है कि राज्य में कोई व्यक्ति भूखा नहीं रहना चाहिये। सरकार के साथ तेलंगाना के एनजीओ, दानदाता, उद्योगपति, धार्मिक संगठन आदि भी लोगों की मदद करने के लिये तत्पर हैं। तेलंगाना सरकार भी प्रवासी श्रमिकों को 12 किलो निःशुल्क चावल और 500 रूपये नगद दे रहे हैं। बड़े पैमाने पर वितरण चल रहा है। सभी को इस दौरान हो सकता है कि चावल उपलब्ध न हो पाया हो लेकिन सरकार इस दिशा में प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री केसीआर, आईटी मंत्री केटीआर साफ तौर पर कह चुके हैं कि प्रवासी श्रमिकों की मदद में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जायेगी।
हो सकता है कि इतने लोगों के सक्रिय होने के बाद भी कुछ लोगों तक खाना या मदद न पहुंची हो लेकिन लोग दिल से प्रयास कर रहे हैं। कई लोग आये दिन अपने घरों पर एनजीओ सहित दूसरे संगठनों से घर पर राशन पहुंचाने की मांग कर रहे हैं। ऐसे लोगों को भी मदद पहुंचायी जा रही है। कुछ युवा श्रमिक घर पर राशन पहुंचाने की मांग कर रहे हैं।
सरकार तेलंगाना में रह रहे प्रवासी श्रमिकों से निवेदन कर रही है कि वे अपने घर के आस-पास या थोड़ी दूर पर स्थित अन्नपूर्णा केन्द्रों पर जाकर भोजन ग्रहण करें। इस विपत्ति की घड़ी में धैर्य और संयम से काम लें। मिल-जुलकर रहें और एक-दूसरे की मदद करें। सरकार सहित सामाजिक संगठनों के साथ सहयोग करें। जानकारी में यह भी आया है कि कई लोग कई संगठनों से एक ही दिन में मदद मांगकर स्टॉक करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा भी करने से बचना चाहिये।
(लेखक हैदराबाद के वरिष्ठ पत्रकार स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)