प्रत्येक घर तक संस्कृत पहुंचाने के लिये गृहे-गृहे संस्कृतम् योजना संचालित: विनय
प्रत्येक घर तक संस्कृत पहुंचाने के लिये गृहे-गृहे संस्कृतम् योजना संचालित: विनय
राघवेंद्र पाण्डेय
अमेठी। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा संचालित गृहे-गृहे संस्कृतम् योजना के अन्तर्गत प्रदेश के सभी जनपदों के तत्तत् केंद्रों का सामूहिक उद्घाटन गूगलमीट के माध्यम से हुआ। सत्र के अध्यक्ष एवं संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव ने सभी केंद्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह योजना एक अश्वमेध यज्ञ के समान है जिसमें हम सभी संस्कृतसैनिक अपने-अपने सहयोग की आहूतियां दे रहे हैं। गृहे-गृहे संस्कृत कार्ययोजना के माध्यम से प्रत्येक घर तक संस्कृत भाषा को पहुंचाने का पुनीत कार्य संस्कृत प्रशिक्षकों की सहायता से उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान कर रहा है।
भाषा विभाग उ.प्र. सरकार और संस्कृत संस्थान साथ में मिलकर संस्कृत के प्रचार प्रसार हेतु नये शिक्षकों को प्रशिक्षित करके उनके सहयोग से संस्कृत भाषाशिक्षण कक्षाएं आयोजित कर रहा है। संस्थान के द्वारा एक संस्कृत हेल्प डेस्क पोर्टल भी बनाया जा रहा है। इसी प्रकार संस्थान द्वारा अन्य बहुत सी योजनाएं चलाई जा रही हैं। इस कार्ययोजना में प्रशिक्षण प्रमुख सुधिष्टमिश्र जी के मार्गदर्शन में सभी ऑनलाइन कक्षाओं के प्रशिक्षकों का भी पूर्ण सहयोग रहेगा। केंद्र के प्रमुख राजेश तिवारी ने कहा कि गृहे गृहे संस्कृति योजना योजना जो ग्राम ग्राम में जाकर घर घर जाकर संस्कृत को व्यवहारिक भाषा बनाने का कार्य बहुत ही अच्छा हैं, क्योंकि संस्कृत से ही संस्कार आता हैं। हमारे भारत देश से जैसे संस्कृत विलुप्त होती जा रही है। संस्कृत भाषा को पुनः जन जन की भाषा बनाने के उपलक्ष्य में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।
योजना सर्वेक्षिका डॉ. चन्द्रकला शाक्या ने सभी शिक्षकों तथा केन्द्र प्रमुखों के उत्साह को बढ़ाते हुए आभार व्यक्त किया। कहा कि आप सभी के सहयोग से यह अखिल प्रदेशव्यापी योजना संचालित होने जा रही योजना से सम्पृक्त प्रत्येक जन महत्त्वपूर्ण हैं। सभी को शुभकामनाएं एवं धन्यवाद। इसी क्रम में संस्थान के पदाधिकारी प्रशासनिकाधिकारी डॉ. दिनेश मिश्र, डॉ. जगदानंद झा, भगवान् सिंह इत्यादि ने अपने विचार व्यक्त किये।
शिक्षक/शिक्षिका आचार्य चंद्रदीप तिवारी ने कहा कि संस्कृत भाषा देववाणी कहलाती है। यह न केवल भारत की ही महत्त्व पूर्ण भाषा है। अपितु विश्व की प्राचीनतम व श्रेष्ठतम भाषा मानी जाती है। प्रत्येक भारतीय को भी अपनी भारती (संस्कृत भाषा) का अध्ययन अवश्य करना चाहिए और यत्न करना चाहिए कि निकट भविष्य में ही संस्कृत भाषा राष्ट्र भाषा बने तभी हम भारत के भाषा संबंधी प्रान्तीयता आदि के कलह को दूर भगा सकते हैं और तभी हम संसार में सच्ची विश्वशाँति की स्थापना कर सकते हैं।
ऑनलाइन कार्यक्रम का संचालन प्रशिक्षक दीपक पाण्डेय ने किया। संस्थान गीतिका प्रशिक्षिका पूजा वाजपेयी के द्वारा संस्थान गीतिका गायी। योजना समन्वयक अनिल गौतम ने प्रस्तावना वाचन करते हुए कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया। मुख्य समन्वयक धीरजमैठाणी ने समग्र योजना का इतिवृत्त प्रस्तुत किया। प्रशिक्षण प्रमुख सुधीष्ठ मिश्र के मार्गदर्शन से जुलाईमास में 67 केद्रों का शुभारंभ हो रहा है जिनमें 2000 शिक्षार्थियों को पढाया जायेगा। आगे जनपद संयोजकों के माध्यम से इस कार्य को और गति प्रदान की जायेगी।
तकनीकी नियंत्रण समन्वयिका राधाशर्मा ने किया। समन्वयन गण में दिव्यरञ्जन, राधाशर्मा, गणेशदत्त द्विवेदी, स्तुति गोस्वामी एवं सहयोगी सविता मौर्य, महेंद्र मिश्र, पूजा वाजपेयी, अजय कुमार हैं। प्रशिक्षिका निधि मिश्रा ने शान्ति मन्त्र के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। कार्यक्रम में समस्त ऑनलाइन कक्षाओं के प्रशिक्षक, कर्मचारियों सहित केंद्रों प्रमुख, शिक्षार्थी एवं केंद्र संचालक शिक्षक उपस्थित रहे।
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