राघवेन्द्र पांडेय
भेटुआ, अमेठी। बात की जाए अगर किसान कल्याण केन्द्र भेटुआ की तो शासन द्वारा आयोजित विभिन्न योजनाओं का लाभ जन-जन तथा गरीब शोषण एवं निम्न वर्ग के किसानों तक पहुंचाना ऐसा उद्देश्य केंद्र तथा राज्य सरकार का है परंतु शासन के उद्देश्यों पर उनके ही कुछ अधिकारी पानी फेरने के लिए तत्पर रहते हैं जैसे कि अगर बात की जाए तो मल्टीपरपज किसान कल्याण केंद्र भेटुआ के केंद्र प्रभारी नागेंद्र वर्मा जी द्वारा बाहरी जिले से यहां पर उनकी नियुक्ति हुई है और बाहरी जिले से उनको अपने तैनाती स्थल पर समय से नहीं पहुंचते हैं और ना ही जिलों में उन्होंने कोई कमरा ले रखा है
ऐसी स्थिति में किसानों को समय से बीज, कीटनाशक भी नहीं उपलब्ध हो रहा है साथ ही प्रधानमंत्री जी की महत्वाकांक्षी योजना पीएम किसान सम्मान निधि में भी ब्लॉक के सैकड़ो किसानों का डाटा सही नहीं हो पा रहा है कुछ ग्रामीणों का तो यहां तक कहना है की शाशन द्वारा मुफ्त में उड़द की खेती करने के लिए उड़द का बीज प्रोवाइड किया जा रहा है लेकिन केंद्र पर प्रति चार किलोग्राम के हिसाब से 100 रूपये लिया जा रहा है कहने पर तो केंद्र पर सात लोगों के नाम का बोर्ड लगा है लेकिन मौके पर सा समय एक भी कर्मचारी उपस्थित नहीं रहता है और ना ही अनुपस्थित के संबंध में अपने उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जाता है ना ही कोई प्रार्थना पत्र दिया जाता है उपस्थिति रजिस्टर पर केवल ब्लैंक छोड़ रहता है कि कभी भी आकर वह अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं आज 5, 7 वर्ष हो गए केंद्र खुले हुए क्या कभी भी कोई उच्च अधिकारी जाकर उपस्थिति पंजिका को चेक नहीं करता निश्चित ही अगर चेक की जाती तो ऐसी गलती अधीनस्थों द्वारा नहीं होती क्योंकि जब स्वयं केंद्र प्रभारी ही हफ्ते में केंद्र पर 3 दिन उपस्थित रहेगा और वह भी समय से नहीं पहुंचेगा तो निश्चित ही उसके अधीनस्थ मनमानी रवैया अपनाएंगे तथा केंद्र एवं राज्य सरकार की महत्व कांची योजना पूर्ण नहीं हो पाएगी हमारे संवाददाता द्वारा किसान कल्याण केंद्र भेटुआ पर 10:30 बजे उपस्थित होकर जब केंद्र प्रभारी नागेंद्र जी को फोन लगाया तो फोन उठा नहीं इसके बाद जिला कृषि अधिकारी से सम्पर्क स्थापित करना चाहा उनसे भी संपर्क न होने की स्थिति में मुख्य विकास अधिकारी अमेठी से बात हुई तथा उनके हस्तक्षेप से दोबारा जिला कृषि अधिकारी से बात होने पर उन्होंने बताया की जानकारी नहीं है जानकारी लेकर संबंधित को निर्देशित कर दिया जाएगा कहीं ना कहीं इस सारे रवैया से यह स्पष्ट नजर आता है कि उच्च अधिकारियों का भी रवैया बहुत ही शिथिल है ऐसी स्थिति में सरकार चाहे लाखों योजनाएं किसान कल्याण हेतु संचालित करें लेकिन जब तक उनके ही अधिकारी अपनी शिथिलता को नहीं छोड़ेंगे तब तक ऐसी योजनाएं धरा पर फली भूत नहीं हो पाएंगे।
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